फेसबुक, ट्वीटर और यू-ट्यूब समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए फैलने वाली फेक न्यूज, पोर्न कंटेंट समेत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ किए जाने वाले कमेंट पर जल्द ही रोक लगाए जा सकते हैं. ऐसे कमेंट्स रोकने के लिए केंद्र सरकार 15 जनवरी तक आईटी इंटरमीडिएटरी नियम जारी करेगी.
नए नियम के मुताबिक इंटरनेट पर बच्चों और महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी और अश्लील सामग्री पर मौजूदा कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के चलाने वाली कंपनियों से भी पूछताछ की जाएगी.
सोशल मीडिया कंपनियों को 72 घंटे के अंदर सरकार के सवालों का जवाब देना होगा. नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनी के हर पल अपडेट होने वाले संदेशों पर होगी. संदिग्ध और शिकायत वाले मामलों पर कंपनियों को मैसेज का एनक्रिप्शन (एक से दूसरे सिरे तक संरक्षित) कोड मुहैया कराने को कहा गया है.इसके अलावा सभी कंपनियों को 50 लाख प्रयोगकर्ता से ज्यादा तादाद में होने पर भारत में पंजीकरण कराना होगा और 180 दिन तक का डेटा सुरक्षित रखना होगा.
कंपनियों को किसी कानून का उल्लंघन करने वाले, उत्पीड़न दर्शाने वाले, देश की एकता-अखंडता या सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला, आपत्तिजनक या अश्लील सामग्री जैसे पोस्ट को प्रतिबंधित करना होगा. इसकी अलग से निगरानी भी की जाएगी.
केंद्रीय सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय ने पहले कई बार व्हाट्सऐप को फर्जी संदेशों पर रोक लगाने के लिए ताकहा था. एनक्रिप्शन का हवाला देकर उसकी ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया. इसके साथ ही फर्जी संदेश की शुरुआत कहां से हुई की जानकारी देने के बारे में भी कोई वादा नहीं किया गया. इन्हीं कारणों से सरकार ने नियम बनाने के लिए यह नया कदम उठाया है.