लखनऊ। राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन एवं लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि अंबानी-अडानी की ताकत से मदमस्त प्रधानमंत्री मोदी के असली इरादों को सामने ला दिया है इस किसान आंदोलन को। उन्होंने कहा है कि अम्बानी-अडानी राष्ट्र नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र इस देश के किसान-मजदूर का है और इस देश की जनता का है।
लोकतंत्र का लोक तो पहले ही खत्म हो गया था। उसका जो तंत्र बच रहा था, उसके भी खात्मे की तैयारी है? अध्यादेश को चोर दरवाजे से लाकर बाद में राज्यसभा में लोकतांत्रिक मर्यादा की धज्जियां उड़ाते हुए पारित घोषित करवा दिया गया। पिछले साढ़े 6 वर्षों से मोदी-शाह जोड़ी जिस तरह से देश में लोकतंत्र को रौंद रही है।
सिर झुकाकर हाथ जोड़कर झूठ बोलने वाली केंद्र सरकार ने 10 दिसम्बर को नए संसद-परिसर के भूमिपूजन का कर्मकांड आडम्बरपूर्वक किया। जिसे मीडिया ने मेगा इवेंट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर हमारे लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार संसद का शीत-सत्र इस बार स्थगित कर दिया गया।
श्री सिंह ने आरोप लगते हुए कहा कि हद तो तब हो गयी जब इन कानूनों के विरोध के लिए जिसे अब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि यह किसानों का संवैधानिक अधिकार है। पंजाब से दिल्ली तक किसानों के साथ दुश्मन सेना जैसा बर्ताव किया गया। उन्हें रोकने के लिए सड़कें खोदकर खाई बना दी गईं। कँटीले तारों की बाड़ लगा दी गयी, लाठीचार्ज, आंसूगैस और वाटर कैनन से हमला किया गया।
सरकारी क्रूरता और संवेदनहीनता का आलम यह है कि दिल्ली बॉर्डर पर 45 दिन में 60 किसानों की मौत हो चुकी है। सरकार को अन्नदाताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए तीन काले कृषि कानून को रद्द करने का निर्णय लेकर किसानों के हित में फैसला सुना देना चाहिए।