जीवन में जैविक तरीको को अपनाना स्थिरता का मार्ग है। यह अवधारणा प्राचीन सभ्यताओं से हमे विरासत में मिली है जो प्रकृति के करीब रहते थे और प्रकृति की पूजा करते थे। ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ जैविक जीवन की मूल अवधारणा है।
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Monday, May 16, 2022
लखनऊ। फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर ने आज हयात रीजेंसी होटल में गौरी कुच्छल जो कि आयुरसत्व की संस्थापक हैं के साथ जैविक रंगाई पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।फिक्की फ्लो ने डिजाइनरों, बुनकरों, डायर और अन्य संबद्ध कला और शिल्प के लोगों को बढ़ावा देने के लिए इसका आयोजन किया।
जीवन में जैविक तरीको को अपनाना स्थिरता का मार्ग है। यह अवधारणा प्राचीन सभ्यताओं से हमे विरासत में मिली है जो प्रकृति के करीब रहते थे और प्रकृति की पूजा करते थे। ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ जैविक जीवन की मूल अवधारणा है। आज हम जैविक जीवन शैली के महत्व को समझते हैं और इसलिए इसे प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
आर्थिक रूप से भी, जैविक उत्पादों को उन समझदार ग्राहकों के बीच बहुत पसंद किया जा रहा है जो गैर विषैले, प्राकृतिक वस्तुओं के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करने को तैयार हैं। गौरी कुच्छल द्वारा ऑर्गेनिक डाइंग पर कार्यशाला इस तथ्य को और सार्थक करती है कि पृथ्वी के पास हर उद्देश्य के लिए सब कुछ है और इसमें सभी मौसम और रंग हैं जो हमें अपने जीवन को उज्जवल बनाने के लिए आवश्यक हैं।
अयूरसतवा गौरी कुच्छल द्वारा जैविक रंगाई की दिशा में एक अनूठी पहल है। स्वदेशी रंगाई तकनीक वस्त्रों और आयुर्वेद के ग्रंथों, स्वास्थ्य और कल्याण की हजारों साल पुरानी है। उन्होंने ने बताया कि प्राचीन काल में बुनकरों ने कुरुंथोत्ति और नीलामारी जैसी जड़ी बूटियों और हल्दी व लौंग जैसे मसालों से कपड़े तैयार किये थे।गौरी बताती है कि गौमूत्र जैसे असामान्य पदार्थ और दालचीनी, दूर्वा घास जैसी जड़ी बूटियों आ भी उपयोग आयुर्वेदिक परिधान बनाने में किया जाता है।आज जबकि हीलिंग कपड़े बाजार में उपलब्ध है बावजूद इसके लगातार कपड़ा उद्योग में रासायनिक संबंधी प्रदूषण के बारे में जागरूकता के कारण मांग बढ़ गई है।
मिली मल्होत्रा की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन हुआ, जहां 100 से अधिक सदस्यों ने फूलों, पत्तियों, छाल, मसालों और कई अन्य प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके कपड़े और कपड़ों को रंगने की प्रक्रिया सीखी।
वर्कशॉप के बारे में बात करते हुए फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की चेयरपर्सन सीमू घई ने कहा कि “हमारा यह सुनिश्चित करने का छोटा सा प्रयास है कि हम अपने सदस्यों के कौशल को उन्नत करें, जिनमें से कई डिजाइनर हैं या फैशन उद्योग से जुड़े हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद डीडीडब्ल्यूएफ की महिलाओं को कौशल प्रदान करने का भी एक अवसर है जो आर्थिक लाभ के लिए इसे आगे बढ़ने का विकल्प चुन सकती हैं। आखिरकार भविष्य प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल और जैविक उत्पादों का है।”
इस कार्यशाला में सीनियर वाइस चेयरपर्सन स्वाति वर्मा, माधुरी हलवासिया, अंजू नारायण, निधि अग्रवाल, यास्मीन सईद, सागरिका मल्होत्रा, निधि सेठिया, विभा अग्रवाल सहित कई डिजाइनरों ने भाग लिया।