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आयुर्वेद और योग से फाइलेरिया प्रबंधन संभव : डॉ लोकेश

औरैया। फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है जिससे रोगी मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत ही नुकसान उठाता है और रोगी की पूरी जीवनशैली भी प्रभावित होती है। आयुर्वेद और योग से फाइलेरिया प्रबंधन संभव हैं। जिले के सभी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों पर फाइलेरिया की रोकथाम व समाधान संबंधित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। यह कहना है क्षेत्रीय यूनानी व आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ लोकेश का।

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आयुर्वेद और योग से फाइलेरिया प्रबंधन संभव : डॉ लोकेशउन्होंने बताया फाइलेरिया बीमारी मच्छरों द्वारा फैलती है, खासकर परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर यही मच्छर जब किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के कीटाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद यानी 10 से 15 साल बाद इनका पता चल पाता है। फाइलेरिया शरीर के लटके हुए अंगों जैसे पैर, हाथ व अन्य अंग प्रभावित करता है। एक बार यदि फ़ाइलेरिया हो जाये तो इसका कोई इलाज संभव नहीं है। लेकिन इससे बचाव किया जा सकता है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।

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उन्होंने बताया कि जनपद में कुल 23 आयुर्वेद आयुर्वेदिक चिकित्सालय हैं। डॉ लोकेश बताते हैं की आयुर्वेद व योग से फाइलेरिया प्रबंधन में लाभ मिलेगा जिससे यह बीमारी और ज्यादा विकराल रूप नहीं लेगी। डॉ लोकेश ने बताया स्वेदन थेरेपी, रक्तमोक्षण, और आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण के विभिन्न लेप द्वारा इस बीमारी से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि सैफई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पंचकर्म द्वारा भी फाइलेरिया प्रबंधन की सुविधा है।

डॉ लोकेश ने बताया कि फाइलेरिया के इलाज के लिए विशेष तौर पर कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे कुटज, विंदंग, हरितकी, मंजिसथा, गुग्गुल, नित्यानंद रस का प्रयोग फाइलेरिया रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है। जिससे सूजन में कमी और खून में फाइलेरिया के कीटाणु की कमी होने लगती है और रोगी की स्थिति बेहतर होती है और प्रभावित अंग की सूजन कम होती है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया रोगी यदि प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें तो उनके नर्वस सिस्टम के न्यूरॉन्स बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं और फाइलेरिया प्रभावित अंग को आराम मिलता है।

जनपद लखनऊ और वाराणसी में चल रहे विशेष एकीकृत उपचार केंद्र

पाथ संस्था के रीजनल ऑफिसर डॉ शिवकांत ने बताया कि अब फाइलेरिया के गंभीर मरीजों के लिए आयुर्वेद, एलोपैथी और योग की एकिकृत पद्धति से विशेष क्लिनिकों में निशुल्क उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया की इंस्टिट्यूट ऑफ़ अप्लाइड डर्मेटोलॉजी ने जनपद लखनऊ और वाराणसी में विशेष एकीकृत उपचार केंद्र खोले हैं। इन केंद्रों में में फाइलेरिया रोगियों को निशुल्क सुविधा दी जा रही है। उन्होंने बताया की यदि कोई फाइलेरिया से गंभीर रूप से ग्रसित है तो वह वाराणसी के लिए 9567283334, लखनऊ के लिए 9567703334 मोबाइल नंबर पर संपर्क कर निशुल्क सुविधा की जानकारी ले सकता है।

आगामी 10 अगस्त से घर-घर खिलाई जायेगी फ़ाइलेरिया रोधी दवा

फाइलरिया उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल व उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सिंह का कहना है की संक्रमण से प्रभावित होने से बचाने के लिए फ़ाइलेरिया रोधी दवा उपलब्ध है। फाइलेरिया रोधी दवा सरकार द्वारा एमडीए/आईडीए के दौरान वर्ष में एक बार फ़ाइलेरिया से प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक व्यक्ति को आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से दी जाती है। आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ता दवा देने के लिए घर-घर जाती हैं। गर्भवती महिलाओं, 2 साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना चाहिए।

फ़ाइलेरिया रोधी दवा खाली पेट न खाएं इसे खाना खाने के बाद ही खाएं दवा का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है। दवा लेने के बाद कुछ लोगों को मतली, उल्टी, बुखार, खुजली, सिरदर्द जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है लेकिन ये दुष्प्रभाव सामान्य रूप से कुछ घंटों में ठीक हो जाते हैं। ये दुष्प्रभाव आम तौर पर उन लोगों को होते हैं जिनको माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण हैं। उन्होंने अपील की कि आगामी 10 अगस्त से आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएँगी। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति फ़ाइलेरिया से बचाव की दवा ज़रूर खाएं।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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