जब जब दुनिया में फुटबॉल की बात की जाएगी तो उसमें ब्राजीलियन फुटबॉल खिलाड़ी पेले का जिक्र अवश्य होगा। दुनिया के कोने कोने में पेले जैसे लोकप्रियता हासिल करने वाले कोई अन्य व्यक्ति नजर नहीं आते। कहा जाता है पेले जब पहली बार कोलकाता आए थे तो कोलकाता की सड़कें घंटों तक जाम हो गई थीं। लगता था मानो संपूर्ण शहर वासी सड़कों पर उमड़ आए हों।
82 वर्ष की आयु में निधन फुटबॉल लीजेंड पेले का निधन, शोक में डूबा खेल जगत
एडसन अरांटिस डी नेसीमेंटो केवीई जिन्हें दुनिया ब्लैक पर्ल, फुटबॉल के महानतम खिलाड़ी रूप में जानती है का जन्म 23 अक्टूबर 1940 को हुआ , गरीब घर में जन्मे पेले ने मात्र 16 वर्ष की आयु से सांटोश क्लब के साथ खेलना शुरू किया और 17 वर्ष की आयु में अपना पहला फीफा विश्व कप 1958 में जीत लिया,उस वक्त पहले की उम्र 17 वर्ष 244 दिन थी।फीफा वर्ल्ड कप में सबसे छोटी उम्र में खिताब जीतने का नाम आज भी पेले के नाम दर्ज है।
पेले लंबे समय तक न सिर्फ ब्राजील के राष्ट्रीय नायक के रूप में रहे बल्कि फुटबॉल जगत के बाहर भी उनकी लोकप्रियता जग जाहिर है। पेले के नाम अधिकृत अंतरराष्ट्रीय गोल 760 हैं।इन 760 गोल से अधिक 812 रोनाल्डो के नाम तथा 769 मैसी के नाम दर्ज हो चुके हैं। लेकिन सर्वश्रेष्ठ गोल औसत .97 आज भी पेले के नाम दर्ज है। जबकि रोनाल्डो का .72 मैसी का .79 गोल औसत रहा है।
गरीब बच्चों के लिए खेल के अवसर बने रहे और सरकार की नीतियां उन्हें प्रोत्साहन दे इसके लिए उन्होंने अपना हजारवां गोल गरीब बच्चों को समर्पित किया। फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने और फुटबॉल खेल की हर विधा ,गति ,ड्रिबल ,हिट और हैडिंग में महारत हासिल करने के कारण लोग उन्हें फुटबॉल का जादूगर कहते हैं , लेकिन पेले के लिए फुटबॉल उनका प्यार और शौक था। 1 अक्टूबर 1977 को अंतरराष्ट्रीय फुटबाल को अलविदा कहने के बाद भी वह दशकों तक फुटबॉल से जुड़े रहे। अपने देश के अद्भुत खेल मंत्री रहे ,जिन्होंने खेलों में गरीब बच्चों की पहुंच बढ़ाने के लिए आकर्षक नीतियां बनाई ,फुटबॉल के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम बनाए। वह 82 वर्ष के थे। उनका करिश्मा कुछ ऐसा था कि जिसकी बराबरी आज तक कोई भी फुटबॉल खिलाड़ी नहीं कर पाया।पांच बार विश्व कप जीतने वाली ब्राजील की टीम तीन बार तो पेले के रहते ही खिताब जीती थी।उनकी मौजूदगी में 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील चैंपियन बना था।
ब्राजील को तीन विश्वकप जिताने वाले इकलौते खिलाड़ी पेले, आज तक नहीं टूटा रिकॉर्ड
पेले एक अवकाशप्राप्त ब्राज़ीली फुटबॉल खिलाड़ी थे.. जिन्हें फुटबॉल के विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों द्वारा सर्वकालीन महान फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। 1999 में उनको इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ फुटबॉल हिस्ट्री एंड स्टैटिस्टिक्स (IFFHS) द्वारा शताब्दी के फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में चुना गया।उसी वर्ष फ्रांसीसी साप्ताहिक पत्रिका फ्रांस-फुटबॉल ने शताब्दी का फुटबॉल खिलाड़ी चुनने के लिये अपने भूतपूर्व “बैलोन डी’ओर” विजेताओं की सलाह ली .. पेले उसमें भी प्रथम स्थान पर रहे।अपने करियर में उन्होंने 760 अधिकृत गोल किये जिनमें से 541 लीग चैम्पियनशिपों में किये गए थे, जिसके कारण वे सर्वकालीन सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी माने जाते हैं।कुल मिलाकर पेले ने 1363 खेलों में 1281 गोल किए।
60 से अधिक सालों तक एडसन एरंटेस डो नासिमेंटो यानी कि पेले फुटबॉल का पर्याय बने रहे और आगे आने दिनों में भी बने रहेंगे। पेले कुल चार विश्व कप में खेले और वह तीन बार चैम्पियन बने। लेकिन पेले की विरासत उनके ट्रॉफी कैबिनेट और उल्लेखनीय गोल स्कोरिंग रिकॉर्ड से कहीं आगे तक फैली हुई है। पेले ने कहा था, ‘मैं फुटबॉल खेलने के लिए पैदा हुआ था,ठीक वैसे ही जैसे बीथोवेन संगीत लिखने के लिए और माइकल एंजेलो पेंट करने के लिए पैदा हुए थे।’
पेले के प्रदर्शन पर एक नजर डालें तो वे अपने मुल्क को तीन विश्वकप जिताने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं। 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील को विश्व कप अपने नाम किया।उन्होंने 18 साल की उम्र से पहले फीफा वर्ल्ड कप में गोल दागने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया है।1958 फीफा वर्ल्ड कप में सूडान के खिलाफ विश्व कप फाइनल में उन्होंने दो गोल दागे थे।पेले ने प्रोफेशनल करियर में कुल 1363 मैच खेले और 1281 गोल दागे हैं, पेले ने ब्राजील के लिए 92 मैचों में 77 गोल दागे। पेले ने 1971 में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया था।
मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने पेले के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, “पेले लाखों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं।
उनकी मिसाल कल भी दी जाती थी, आज भी दी जाती है और हमेशा दी जाएगी।दूर से भी उन्होंने हमेशा मेरे लिए स्नेह दिखाया, जब भी हम मिले हों, हमारा स्नेह पारस्परिक तौर एख दूसरे के प्रति था।उन्हें कभी नहीं भूलाया जा सकेगा। उनके यादें हम फुटबॉल प्रेमियों के साथ रहेगी. रेस्ट इन पीस, किंग पेले.”
विदित हो कि पेले पिछले कुछ समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे और अंततः कल जिंदगी रूपी खेल को सफलता के अंतिम मुकाम तक पहुंचा कर दुनिया को अलविदा कह गए। जब तक दुनिया रहेगी और उस दुनिया में फुटबॉल का खेल होगा तो फुटबॉल और पेले एक दूसरे के पूरक नजर आते रहेंगे। विनम्र श्रद्धांजलि फुटबॉल जगत के सरताज।
गोपेंद्र कु सिन्हा ‘गौतम’