नरेन्द्र मोदी सरकार ने ज़न जातीय समुदाय के सम्मान का नया अध्याय लिखा है. देश में पहली बार ज़न जातीय समाज की महिला सर्वोच्च पद पर आसीन हुई है. पहली बार जनजातीय गौरव दिवस का शुभारंभ किया गया. आजादी के अमृत महोत्सव में अनेक उपेक्षित तथ्य उजागर हो रहे हैं। अनेक राष्ट्र नायक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे हैं। अमृत महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा का एक नया दिन भी घोषित किया गया।
अब देश प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस भी मनाएगा। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने इस दिन को वनवासियों के विकास से जोड़ दिया। उन्होंने बभनी स्थित सेवाकुंज आश्रम में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस पर वनाधिकार कानून के तहत पट्टा आवंटित किया। गया। मुख्यमंत्री ने 19580.67 लाख रुपये की 56 परियोजनाओं का लोकार्पण व 37963.69 लाख की परियोजनाओं का शिलान्यास किया.योगी आदित्यनाथ ने कहा यह दिवस देश के वनवासियों की अपनी गौरवशाली परम्परा को जोड़ने का एक अवसर दिया है। जनजातीय समुदाय भारत का वह महत्वपूर्ण समुदाय है जो धरती माता को अपने मां की तरह मानता है और अपना संबंध हमेशा धरती मां से जोड़कर रखता है। वे इस ढंग से अपना जीवन जीते हैं जिससे धरती माता व जंगलों को कोई नुकसान न पहुंचे।
जनजाति समुदाय वनों का पालन संरक्षण व सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। सृष्टि की रचना के साथ ही प्रकृति के उतार चढ़ाव के साथ तमाम संघर्षों को झेलते हुए जीवन जीने और धरती से जुड़े रहने का गौरव देश की जनजातीय लोगों को जाता है। उत्तर प्रदेश में कुल पंद्रह जन जातियाँ सूचीबद्ध हैं जिनमें से तेरह सोनभद्र में निवास करती हैं।
आज़ादी के आंदोलन में भगवान बिरसा मुण्डा का विशेष योगदान रहा। अजादी के आंदोलन में उन्होंने स्वयं का बलिदान भी दे दे दिया। आज़ादी की लड़ाई में भारत की जनजातियों पर अनेक अत्याचार हुए जिसमें रानी दुर्गावती और भगवान बिरसा मुण्डा को बलिदान देना पड़ा इनके अलावा भी अनेक आदिवासी समाज के लोगों ने बलिदान दिया।
वर्तमान प्रदेश ने सरकार ने जनजातियों के विकास के लिए अनेक कार्य किए. ऐसे गाँव जहाँ विकास की कोई किरण नहीं पहुँची थी उनको राजस्व गाँव का दर्जा देकर वहाँ के लोगों को पीएम और सीएम आवास योजनाओं से पक्का मकान,पानी बिजली ,राशन आदि की सुविधा से जोड़ा। जन जातिसमुदाय को #वनाधिकार क़ानून के अंतर्गत पट्टा और आवास योजनाओं के तहत आवास मिलेगा. जहाँ बिजली ले जाने में दिक्कत थी वहां सोलर पैनलों से बिजली उपलब्ध कराई जा रही है.इस दिवस का प्रथम आयोजन गत वर्ष हुआ था. उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखण्ड में #बिरसा_मुंडा की मूर्ति का वर्चुअल लोकार्पण किया था.इसके अलावाभोपाल में विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया गया था.बिरसा मुंडा और रानी कमलापति के महान योगदान से देश की नई पीढ़ी परिचित हुई। बिरसा मुंडा की झारखंड, बिहार, उड़ीसा आदि प्रदेशो में प्रतिष्ठा रही है। जनजातीय समुदाय में उनका बड़ा सम्मान है। वह राष्ट्र नायक के रूप में पूरे देश के लिए सम्मान की विभूति हैं।
रानी कमलापति का भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के साथ स्मरण किया गया। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। उनमें बाल्यकाल से ही समाजसेवा का भाव था। उन्होंने जनजातीय समुदाय को ब्रिटिश दासता से मुक्त कराने का संकल्प लिया था। अकाल के समय उन्होंने लोगों की सेवा सहायता की। इसके साथ ही अंग्रेजों की लगान वसूली का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्थानीय लोगों को एकत्र किया। मुंडा विद्रोह को उलगुलान नाम से भी जाना जाता है। बिरसा मुंडा को1895 में गिरफ़्तार कर लिया गया।
उन्हें दो साल के कारावास की सजा दी गयी। उन्हें लोग सम्मान से धरती आबा कहते थे। खूँटी थाने पर हमला कर अंग्रेजों को चुनौति दी गई। तांगा नदी के किनारे ब्रिटिश सेना पराजित भी हुई थी। डोम्बरी पहाड़ पर संघर्ष हुआ था। चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया। ब्रिटिश जेल में ही उनका निधन हुआ था। मध्य प्रदेश के रेलवे स्टेशन हबीबगंज भोपाल का अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति नामकरण किया गया। नरेंद्र मोदी ने इस स्टेशन का लोकार्पण किया। इस प्रकार रानी कमलापति की राष्ट्र सेवा को सम्मान दिया गया। वह अठारहवीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। यह पहली बार है, जब जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। अब तक स्वतंत्रता संग्राम के वे गुमनाम नायक रहे हैं।
जनजातीय समुदाय ने प्राचीन काल से ही जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, नागालैंड सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास किया है और देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाई है। आजादी से पहले भी जनजातीय नायकों ने भारत की स्वतन्त्रता के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। रानी कमलापति का नाम रेलवे स्टेशन से जोड़ने से गोंड समाज सहित सम्पूर्ण जनजाति वर्ग का गौरव बढ़ा है।
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन देश का पहला आईएसओ सर्टिफाइड एवं पीपीपी मॉडल पर विकसित रेलवे स्टेशन है। एयरपोर्ट पर मिलने वाली सुविधाएँ इस रेलवे स्टेशन पर मिल रही हैं। विदेशी आक्रांताओं के हमलों के बाबजूद जन जातीय समुदाय ने अपनी सभ्यता- संस्कृति को कायम रखा है। इन्होंने सदैव विदेशी आक्रांताओं से मोर्चा लिया। स्वतन्त्रता संग्राम में जन जातीय समुदाय का योगदान भी किसी से कम नहीं था। लेकिन इनको इतिहास में उचित एवं पर्याप्त स्थान नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ओर ध्यान दिया। रानी कमलापति का के नाम से लोग अनजान थे। नरेंद्र मोदी की पहल से यह नाम आज राष्ट्रीय चर्चा में है। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारत सही मायने में अपना प्रथम जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है।
आजादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जनजातीय कला, संस्कृति,स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को गौरव एवं सम्मान प्रदान किया जा रहा है. देश को बचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जनजातीय समाज का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है। भगवान श्री राम को वनवास के दौरान जनजातीय समाज द्वारा दिये गये सहयोग ने ही मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया। जनजातीय समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, जीवन-शैली से प्रेरणा मिलती है। सरकार निरंतर जनजातीय कल्याण के कार्य कर रही हैं। सरकार द्वारा बीस लाख जनजातीय व्यक्तियों को वनभूमि के पट्टे प्रदान किये गये हैं। जनजातीय युवाओं के शिक्षा एवं कौशल विकास के लिये देशभर में साढ़े सात सौ एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय खोले जा रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा तीस लाख विद्यार्थियों को हर वर्ष छात्रवृत्ति दी जा रही है।
सरकार द्वारा नब्बे वनउपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। भारत सरकार ने जो डेढ़ सौ से अधिक मेडिकल कॉलेज मंजूर किए हैं,उनमें जनजातीय बहुल जिलों को प्राथमिकता दी गई है। इसी तरह जल जीवन मिशन के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों में नल से जल पहुंचाने की योजना संचालित हो रही है। सरकार ने खनिज नीति में ऐसे परिवर्तन किए. जिनसे जनजातीय वर्ग को वन क्षेत्रों में खनिजों के उत्खनन से लाभ मिलने लगा है। जिला खनिज निधि से पचास हजार करोड़ के लाभ में जनजातीय वर्ग हिस्सेदार है। जनजातीय समाज को यह सम्पदा काम आ रही है। खनन क्षेत्र में रोजगार संभावनाओं को बढ़ाया गया है। बाँस की खेती जैसे सरल कार्य को पूर्व सरकारों ने कानूनों में जकड़ दिया था। उन्हें संशोधित कर अब जनजातीय वर्ग की छोटी छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति का मार्ग प्रारंभ किया गया है।
मोटा अनाज जो कभी उपेक्षित था। वह भारत का ब्राण्ड बन रहा है। जनजातीय बहनों को काम और रोजगार के अवसर दिलवाने का कार्य हो रहा है। नई शिक्षा नीति में जनजातीय वर्ग के बच्चों को मातृ भाषा की शिक्षा का लाभ भी मिलेगा। कोरोना काल में भी प्रधामनंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से लाभान्वित किया गया। नई पीढ़ी को हमारे संग्रामों और जनजातीय नायकों के योगदान से परिचित कराया जा रहा है. रानी दुर्गावती, रानी कमलापति को राष्ट्र भूल नहीं सकता। जनजातीय वर्ग के महत्वपूर्ण योगदान को आजादी के बाद दशकों तक देश को नहीं बताया गया। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पंद्रह नवंबर भारत की आदिवासी परंपरा के गौरवगान का दिन है।
बिरसा मुंडा न केवल हमारी राजनीतिक आजादी के महानायक थे, बल्कि वे हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा के संवाहक भी थे। देश आज आजादी के पंच प्रणों के साथ भगवान बिरसा मुंडा सहित करोड़ों जनजातीय वीरों के सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जनजातीय गौरव दिवस के जरिए देश की जनजातीय विरासत पर गर्व और आदिवासी समाज के विकास का संकल्प इसी ऊर्जा का हिस्सा है। देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी संग्रहालयों और जन धन, गोवर्धन, वन धन, स्वयं सहायता समूह, स्वच्छ भारत, पीएम आवास योजना, मातृत्व वंदना योजना, ग्रामीण सड़क योजना, मोबाइल कनेक्टिविटी, एकलव्य स्कूल, एमएसपी जैसी योजनाएं संचालित है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि जनजातीय धर्म संपूर्ण भारत का गौरव है। अपने पूर्वजों की परंपरा, अपना गौरव है. क्योंकि वे बताते हैं कि हम को कैसे जीना है।
धर्म के मामले में जनजाति गौरव, भारत का धर्म गौरव है।भारत का धर्म कहां से आया। इतने सारे देवी देवता के बाद भी सब का व्यवहार एक सा रहता है। यह धर्म खेतों और जंगलों से उपजा है। भारत के सभी धर्मों को यहां के कृषकों, वनवासियों ने दिया है ।उस धर्म का गौरव, जनजाति गौरव, दोनों का गौरव है, इसलिए भारत का गौरव है। हमारा धर्म सब में पवित्रता देखता है क्योंकि स्वयं का अंतःकरण पवित्र है। पर्यावरण में देवी -देवता मानना जनजाति बंधु ने ही सिखाया। जनजाति गौरव हमारे गौरव का मूल है। जनजाति जीवन पद्धति हमारी भारतीय जीवन पद्धति का मूल है। भारतवर्ष मूल कृषि और वनों में है। वहां से उपजी हुई यह संस्कृति है। उस संस्कृति की दुनिया को आवश्यकता है, यह भगवान का काम है। भगवान का काम उपस्थित हुआ है।