श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे गुरुवार को बीजिंग के आधिकारिक दौरे पर रवाना हुए। राजपक्षे चीन के साथ द्वीप राष्ट्र के ऋण पुनर्गठन समझौते पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री ली कियांग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे।
चीन श्रीलंका के लिए सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता है। साल 2022 में द्वीप राष्ट्र ने जब डिफॉल्ट होने की घोषणा की थी। बीजिंग उसके कुल बाहरी कर्ज का 52 फीसदी (40 अरब अमेरिकी डॉलर) हिस्सा है।
द्वीप राष्ट्र के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को घोषणा की कि भारत और चीन समेत द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ ऋण पुनर्गठन समझौतों को पेरिस में अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने इसे देश के विकास में मील का पत्थर बताते हुए कहा था कि यह नकदी संकट से जूझ रहे श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय भरोसे मजबूत करेगा।
ऋण पुनर्गठन समझौते में 4.2 अरब अमेरिकी डॉलर के चीनी ऋण को चुकाने के लिए 2043 तक का समय दिया जाएगा। इस ऋण का अधिकांश हिस्सा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान (2014-15) लिया गया था। उधर, डेली मिरर अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर में बताया कि राजपक्षे की चीन यात्रा विदेश मंत्री वांग यी के निमंत्रण पर हो रही है। वह बीजिंग में शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
इस कार्यक्रम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के अन्य प्रमुख सदस्य शामिल होंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा था कि चीन शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को पेइचिंग में सम्मेलन का आयोजन करेगा। खबर के मुताबिक, इन कार्यक्रमों के इतर राजपक्षे प्रधानमंत्री ली कियांग और मंत्री वांग यी के साथ परस्पर हित के क्षेत्रों और श्रीलंका को लाभ पहुंचाने वाली विकास परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे।