सुलतानपुर। जिले में 31 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान रोग के प्रति जागरूकता लाने के साथ ही कुष्ठ से ग्रसित रोगियों की पहचान भी की गई। इसके साथ ही यह भी खबर है कि अब जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आई है। कुष्ठ नियंत्रण अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. आर.के.कन्नौजिया ने बताया कि स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के अन्तर्गत सभी 2522 आशा कार्यकर्ताओं को लगाया गया था। सभी ने कुष्ठ रोग पर सन्देश और प्रश्नावली के माध्यम से अपने क्षेत्रों में घर-घर जा कर कुष्ठ रोगियों की पहचान की।
उन्होंने बताया कि आयोजित पखवाड़े में चार नए कुष्ठ के मरीज़ चिन्हित किये गए हैं, जिनका उपचार भी शुरू हो गया है। वर्तमान में जिले में कुष्ठ के रोगियों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2021-22 में अब तक 40 रोगी चिन्हित किये गए थें । इनमें से 30 उपचार के बाद पूरी तरह ठीक भी हो चुके हैं।
कुष्ठ के मरीजों की संख्या में कमी लाने में पहले से आयोजित होने वाले सघन कुष्ठ रोगी खोजी अभियान एवं नियमित निगरानी बहुत मददगार रहे हैं। कुष्ठ रोग टी.बी. रोग की भांति ही फैलता है। कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति के खाँसने या छींकने परउसकी स्वांस से निकलने वाले पानी की बूंदों से साथ लैप्रे बैक्टीरिया हवा से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुँच जाता है। इसलिए कोरोना काल में समुदाय में मास्क पहनने और नियमित हाथ धोने की आदत से भी कुष्ठ को रोकने में सहायता मिली है।
कई बार मरीज़ उपचार बीच में ही छोड़ देते हैं, ऐसे में संक्रमण बढ़ जाता है और दोबारा उपचार शुरू होने पर लम्बे समय तक उपचार चलता है। कुष्ठ रोग एम.डी.टी. दवाओं से ठीक हो सकता है और जल्दी इलाज से दिव्यांगता से बचा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों के मरीजों को मिलाकर वर्तमान में 36 एक्टिव मरीज़ हैं, इन सभी का उपचार चल रहा है।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी का कहना है कि यदि किसी को शरीर पर सुन्न दाग, हथेली या पैर के तलवे में सुन्नता, नसों में सूजन, मोटापन या दर्द, हाथ-पैर या आँख में कमजोरी या विकृति, घाव जिसमें दर्द न हो, चेहरे, शरीर या कान पर गाँठ, छाले या घाव हों तो वह नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी कार्यालय या शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाकर जाँच अवश्य कराएँ।