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सहेली

       वैदेही कोठारी

डोर बेल बजी…..तो राजेश ने अनीता को आवाज़ लगाई। देखो कौन हैं दरवाजे पर? अनीता किचन में आटा गूंथते हुए बोली- मैं आटा गूंथ रही हूँ। आप दरवाजा खोल  दें…..!!

राजेश ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने एक सुडौल-गोरी, छोटे बाल, जींस-शार्ट कुर्ते में युवती खडी थी। राजेश ने उसे देखा, तो देखता ही रह गया! उस युवती ने पूछा – “क्या अनीता यहीं रहती हैं? राजेश मुस्कुराते हुए बोला हाँ.. हाँ यहीं रहती है।” युवती ने कहा ‘‘मैं…..डॉली, मुझे अनीता से मिलना हैं।’’ राजेश ने अंदर आने के आग्रह के साथ ही अपनी पत्नी अनीता को आवाज लगाई – “अनीता!….अनीता…!! तुमसे कोई मिलने आया है….!!”

अनीता ने किचन से बाहर आते हुए पूछा – “कौन आया हैं?” यह कह कर राजेश दूसरे कमरे में चला गया। उसने जब बैठक रूम में डॉली को देखा तो दंग रह गई!!

अनीता खुशी से चहकते हुए कहा, “अरे! डॉली….तुम यहाँ….!! कितने साल हो गए तुमको देखे….??” दोनों एक दूसरे के गले लग गईं। दोनों की आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक आए। अनीता और डॉली दोनों हाथों में हाथ लिए सोफे पर बैठ गईं। अनीता ने राजेश को आवाज़ लगाई,  “राजेश जी, मेरी बचपन की खास दोस्त है, लखनपुर से….”

राजेश अंदर के  कमरे से आया। अनीता ने डॉली का राजेश से परिचय कराया। दोनों आपस में स्कूल कॉलेज टाइम की पुरानी बातें याद करने लगीं, अनीता डॉली दोनो ही बहुत खुश थी, एक दूसरे से मिलकर। अनीता ने कहा- “अभी भी तुम उतनी ही सुंदर और मेंटेन हो….एक दम कॉलेज गर्ल की तरह….अनीता बोली शादी की या नही?” डॉली के ड्रेस सेंस को देख कर ऐसा लग नही रहा था कि वह शादी-शुदा है। डॉली ने कहा शादी तो कर ली ह…. मेरे दो बच्चे हैं।”

“…..और बता कैसे आना हुआ?”….. “मेरे घर का पता कैसे मिला?”…..तुझे इतने साल हो गए.….इससे पहले तो तूने याद ही नही किया….!! अनीता ने सवालों की जैसे बारिश ही कर दी थी। डॉली ने कहा,  “तेरी शादी के बाद, मेरी भी शादी हो गई….फिर फैमिली में पूरी तरह व्यस्त….।” डॉली ने आगे कहा- “तूने भी याद नही किया….और मेरे साथ भी यही स्थिति थी यार…।”

बचपन की सहेली से मिलकर, अनीता तो जैसे सारी दुनिया ही भूल ही गयी था। अचानक उसे कुछ याद आया और वो बोली- “तुझे देखकर तो मैं भूल ही गई कि तुझे चाय पानी का तो पूछूं…..!!”

डॉली बोली, “कोई बात नही यार….”

अनीता ने काम करने वाली को आवाज लगाई, “मीना…..!! चाय पानी और नाश्ता लेकर आना…..!!”

वह बोली, “जी दीदी लाती हूँ।”

अनीता अपनी बातों में इतनी व्यस्त हो चुकी थी कि वह यह भी भूल गयी कि राजेश को आफिस जाना है और उसे राजेश के लिए तैयारी करनी है। थोड़ी देर में राजेश आफिस के लिए तैयार हो कर निकलने लगा, तब उसे राजेश के जाने का ख्याल आया। अनीता राजेश को तैयार देख कर बोली, “अरे ! आप तो तैयार भी हो गए..! उफ़ …..मैं तो डॉली से मिलकर भूल ही गई कि आपको आफिस जाना है।

राजेश ने बड़ी सभ्यता के साथ जवाब दिया, “कोई बात नही इतने सालों बाद मिल रही हो, आप लोग बातें करो, मैं निकलता हूँ। यह कहकर राजेश आफिस के लिए निकल गया।

अनीता के दोनों बच्चे भी स्कूल गए हुए थे। दोनो सालों पहले बीती हुई बातों को याद करके खूब हँसे। दोनों को एक बार फिर वही पुराने दिन महसूस होने लगे, जो उन्होंने बचपन में बिताए थे। उन दोनों ने साथ में खाना खाया। अनीता की तरह डॉली भी भूल गई, कि उसे ऑफिस भी जाना है। अचानक ही उसे वक़्त का ख्याल आया। उसने घड़ी देखी तो बोली, “अरे बापरे…..!! बारह बज गए….. अब मुझे जल्दी निकलना होगा।”

अनीता बोली, अरे लेकिन…..!!

अनीता कुछ बोल पाती उससे पहले ही डॉली ने कहा- “पास में ही मेरा ऑफिस है। मैं पांच मिनिट में पहुंच जाउंगी…” कह कर बाहर निकल गई।

समय कम था, लेकिन अनीता और डॉली दोनो को इस बात की बेहद ख़ुशी थी कि उन दोनों को उनकी पुरानी सहेली जो मिल गई… वो भी एक ही शहर में। अनीता और डॉली, दोनों ही मन में सोच रहीं थीं कि इतनी सारी बातें कीं, फिर भी मन अभी भरा नही ….!!

आज दोनों ही बेहद खुश थीं!!

शाम को 07 बजे जब राजेश घर आया तो उसकी नज़रें इधर-उधर देख रही थीं। अनीता ने “पूछा क्या हुआ…..किसे देख रहे हो?” राजेश थोडा अनमने से लहजे में बोला, “अरे! तुम्हारी सहेली आई थी न….. कहां गई?” अनीता बोली वो तो दिन में ही चली गई। राजेश ने कुछ नहीं कहा चुप रहा।

अनीता ने पूछा- “आज लेट हो गए…..राजेश बोला- “अरे! मंत्री जी की गाडी निकलने वाली थी, इसलिए गाड़ियों को रोका जा रहा था, जिससे ट्राफिक ज्यादा…..।

अनीता पूछा- “खाना खाओगे अभी या…..” राजेश बोला नही पहले ‘मैं चाय पियूँगा…..सर में दर्द हो रहा है।” अनीता ने राजेश को चाय बना कर दी…..अनीता फिर अपने काम में व्यस्त गई।

रात को बच्चों के साथ दोनों ने खाना खा रहे थे। एफएम रेडियो पर गाना चल रहा था- “तुमको देखा तो ये ख्याल आया….. ज़िंदगी धूप तुम घना साया…..”

राजेश का ध्यान खाने में नही था। अनीता बोली- “क्या बात है…..आज खाना अच्छा नही लगा क्या? आज तो मैंने आपके पसंद का ही खाना बनाया है।”

राजेश के दिमाग में तो डॉली का चेहरा ही घूम रहा थ। अनीता की बात सुन कर अचानक उसकी तंद्रा टूटी। वह चौंक कर बोला – “नही…नही..खाना बहुत अच्छा बना है।
तो फिर खाना क्यों नही …..?

राजेश ने पूछा- “अपनी सहेली को रोकना था, इतनी जल्दी क्यों जाने दिया …..?

अनीता बोली, “उसके भी घर पर बच्चे और पति हैं।”

“क्या वह शादी शुदा हैं?”

“हाँ ….. तुम्हें क्या लगा?”

राजेश मुस्कुराते हुए बोला, “यार लग नही रहीं थी, कि वह शादी-शुदा है।”

दोनों बच्चों की स्कूल की बातें चलने लगीं थी तो बात-चीत दूसरी तरफ घूम गयी। इसलिए अनीता ने भी ज्यादा ध्यान नही दिया। खाना खाने के बाद राजेश भी कमरे में चला गया, बच्चे भी अपने अपने कमरे में चले गए। अनीता ने खाने की टेबल व किचन साफ किया, जब वह कमरे में गई तो राजेश आईने के सामने खड़े होकर ख़ुद को निहार रहा था।

राजेश ख़ुद को आईने में निहारते हुए बोला, “अभी भी मेरी फिटनेस तो अच्छी-खासी बनी हुई है। मेरा रंग भी साफ दिख रहा है, हाईट भी अच्छी है। क्या बोलती हो तुम…. बताओ…..? अनीता मुस्कुराते हुए बोली, “हाँ, वो तो है….. क्या बात है? आज ख़ुद को कुछ ज्यादा ही निहारा जा रहा है | फिल्मो में काम करने का इरादा है क्या?” राजेश अनीता की बात सुन हंसने लगा, “तुम भी न….”

अनीता बोली “अभी तक सोए भी नही…, सब ठीक तो है।”

राजेश बोला, “हां..हां..सब ठीक हैं।”

इधर-उधर की बात करते करते राजेश ने फिर पूछा, “तुम्हारी सहेली का कैसे आना हुआ इस शहर में?”

अनीता ने बताया- “उसका ट्रांसफर इस शहर में हो गया है। उसका ऑफिस यही कहीं आस-पास हैं, दो-चार किलोमीटर की दूरी पर…..”

राजेश मुस्कुराते हुए बोला, “उनको बुलाओ घर पर किसी दिन ‘बात-वात’ करेंगे”। माना तुम्हारी सहेली है, हमारी भी तो मुलाकात कराओ…..”

अनीता ने हंसते हुए कहा, “क्या बात हैं? मेरी सहेली में बड़ा इंट्रेस्ट दिखा रहे हो…?” राजेश हंसते हुए बोला, “अरे! तुम तो गलत समझ रही हो……मैं तो ऐसे…ही..!” चलो सोते हैं कल ऑफिस जाना हैं। राजेश ने बात बदल दी थी।

अब अनीता के पास अक्सर डॉली  का फोन आने लगा। जब भी अनीता को फुर्सत होती तो वह भी फोन लगा लेती। छुट्टी वाले दिन अकसर अनीता घर के सारे काम जल्दी निपटा कर, डॉली के घर चली जाया करती। दोनो को ही जीवन जीने का मजा आने लगा। अनीता ने डॉली से कहा- ”पता है, तेरे आने से मेरी लाईफ में खुशियां बढ़ गई हैं। वरना घर और बच्चों में उलझी रहती थी।”

डॉली बोली- “सच कहा…. मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा तुझसे मिलकर”

राजेश अक्सर अनीता से कहता, “डॉली को घर खाने पर बुलाओ…..” जवाब में अनीता कहती, “हाँ, आने वाली छुट्टी के दिन उसे और उसकी फेमिली को घर बुला लेंगे।”

आज अनीता ने डॉली के पसंद का खाना बनाया। शाम को घर के सभी सदस्यों ने डॉली के परिवार का स्वागत किया। बच्चे भी आपस में घुल मिल गए। सभी आपस में बातचीत करने में व्यस्त हो गए। राजेश ने माहौल को ख़ुशनुमा बनाने के लिए म्यूजिक प्लेयर पर ग़ज़ल लगा दी।

अनीता और डॉली डिनर के लिए टेबल पर खाना लगा रही थी। अनीता डॉली से बोली, “आज बहुत सुन्दर लग रही हो। ख़ुद को बहुत अच्छे से मेंटेन कर रखा है।”

डॉली ने मुस्कुराते हुए पूछा “तू क्यों नहीं ख़ुद का ध्यान रखती है?”

अनीता बोल, “अरे! अब किसको दिखाना है। शादी बच्चे सब हो गए।

डॉली ने कहा – ‘ख़ुद के लिए!!’ हमें ख़ुद के लिए अच्छा दिखना चाहिए…..!!”

राजेश डॉली के हस्बैंड से बातें तो कर रहा था, किन्तु उसका ध्यान बार बार डॉली की ओर जा रहा था। राजेश को डॉली आज पीली शिफान की साडी स्लीवलेस ब्लाउज खुले बालों में कटरीना से कम नहीं लग रही थी, वह किसी न किसी विषय पर डॉली से बात करना चाह रहा था। राजेश का यह व्यवहार अनीता को भी खटक रहा था। पर वह उस समय कुछ नही बोली डॉली के जाने के बाद अनीता ने मुंह बनाते हुए बोला ‘क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही ध्यान जा रहा था, डॉली की ओर….!! कितना अशिष्ट व्यवहार लग रहा था।”

राजेश बड़े भोलेपन से बोला, “मैने तो ऐसा कुछ नही बोला…..!!”

“नही बोल…..पर आपका व्यवहार कुछ ऐसा ही दिख रहा था।”- अनिता ने कहा।

राजेश को लगा शायद, अनीता मुझसे लडने न लगे, इसलिए वह चिल्लाते लहजे में बोला, तुम मुझ पर शक कर रही हो …..??

“नही…..मैं ‘शक’ नही कर रही हूं”

इतना कहा कर अनीता चुप हो गई।

राजेश अब अक्सर डॉली को ऑफिस जाते हुए रास्ते में मिलने लगा। डॉली पूछती ‘यहाँ कैसे…..?” तो वह बोलता “मैं यहां से गुजर रहा था।” इस तरह कुछ भी बहाने बना कर उससे बात करने लगता।

कुछ दिन बीत जाने के बाद डॉली ने अनीता से कहा, “आजकल, राजेश जी का ऑफिस का समय बदल गया क्या?

अनीता बोली, “क्यो…?”

“अक्सर मुझे रास्ते में मिल जाया करते हैं।”

अनीता चुप रही कुछ नही बोली।

राजेश भी आजकल कुछ खोया खोया रहने लगा। अनीता ने राजेश से पूछा, “क्या हुआ? आजकल बड़े खोए खोए रहने लगे हो, घर से निकलते तो जल्दी हो, लेकिन ऑफिस लेट पहुंच रहे हो। सब ठीक हैं न….?”

राजेश बोला, “हां हां..सब ठीक है।

“….फिर डॉली से अक्सर क्यों रास्ते में बातें करने लग जाते हो? अनीता ने तपाक से सवाल किया।

राजेश गुस्से में चिल्ला कर बोला “….तुम शक कर रही हो??

इस बार अनीता भी चुप नही रही। अनीता भी चिल्ला कर बोली ‘हाँ!! मैं ‘शक’ कर रही हूं! क्या है ये? मुझमें क्या कमी है…..? जो तुम इस तरह व्यवहार कर रहे हो….? तुम्हारे खाने-पीने, घर का काम, सभी का ध्यान रखती हूं। बच्चों को पढाती मां पिताजी का ख्याल रखती हूं। फिर ऐसा क्यों…? मैंने खुद का ध्यान न रखते हुए.,सभी का ध्यान रखा…..” फूट फूट कर रोते हुए अनीता बोलने लगी। अनीता के आँसू मोटे मोटे गोरे गालों पर बारिस की तरह झरने लगे।

अनिता के मोटापे से चेहरे की शार्पनेस भी खत्म हो गई थी, जिससे नाक गालों के बीच धसी सी दिखती। गोरा रंग होने से रोते समय उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया | रोते हुए और भी भोंदू सी दिख रही थी अनीता।

राजेश चिल्लाते हुए बोला…”तुमने अपना शरीर देखा है | शरीर कम, रुई का बोरा, ड्रम, कद्दू जैसी चारों तरफ से फैलती जा रही हो। हमेशा घर की कामवाली ही बनी रहती हो…कभी सोचा कि पति की क्या इच्छा हैं…? घर का काम तो कामवाली भी कर लेती, इसमे तुमने नया क्या किया?.तुम खुद को देखो, और तुम्हारी सहेली को.. ..देखो, कितना फर्क दिखता हैं, तुम दोनो में!”

अनीता बोली “पहले तो तुम हमेशा मेरी तारीफ करते थे। मेरे मोटापे को लेकर, क्यों कुछ नही कहा…?”

राजेश बोला, “मुझे लगा कि तुम अब खुद को बदलोगी….. अब बदलोगी, लेकिन तुम तो दिन पर दिन और मोटी होती जा रही हो। अब तो मुझे तुम्हें अपने साथ पार्टियों में ले जाने में भी शर्म आने लगी हैं।” अनीता के मोटे-मोटे गालों पर आंसुओं की रेल चलने लगी। वह चुप हो गई, किंतु उसके आंसु नही थम रहे थे। राजेश चिल्लाकर अपनी भड़ास निकाल कर घर से बाहर चला गया। अनीता ने कमरे का दरवाजा बंद करके जब खुद को आईने में देखा तो… देखती ही रह गई।

उसने खुद को कभी आईने में इतने ध्यान से नही देखा था। बस घर गृहस्थी में ही खुद को व्यस्त रखा। वह तो यह भी भूल गई कि वह पढ़ी लिखी भी है। उसने अपना जीवन सिर्फ पति बच्चे सास ससुर तक ही खुद को समेट लिया था। किंतु, आज राजेश ने उसकी आँखें खोल दीं….

हम क्यों शादी होने के बाद खुद को भूल जाते हैं? हम अपना ध्यान क्यों नही रख सकते? जब हम घर के सभी सदस्यों का ध्यान रख सकते हैं तो खुद का क्यों नही…?

राजेश को भी खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था, कि उसने इतना कुछ बोल दिया अनीता को। वह सोचने लगा मुझे नही बोलना चाहिए था। वह अपने मां-बाप का घर छोड़ कर मेरे घर आंगन को रोशन करने आई….मैने उसको कितना बुरा भला कह दिया। अपने मां-बाप से ज्यादा उसने मेरे मां-पिताजी की चिंता की। साथ ही बच्चों का भी ख्याल रखती है। राजेश उदास सा चेहरा लेकर घर पहुंचा, अनीता से माफी मांगी। अनीता ने भी कहा आज आपने मेरी आँखें खोल दीं। राजेश बोला, “हां, पर मेरे कहने का तरीका गलत था। मुझे माफ कर दो!!”

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