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उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में दरारें, भू वैज्ञानिकों ने बताया इसके लिए कौन जिम्मेदार

त्तराखंड के जोशीमठ में घरों में दरारें और अजीब तरीके से सड़क से पानी का निकलने की वजह भूधंसाव मानी जा रही है। यहां के स्थानीय लोगों के अलावा सरकार की टीम ने भी यही कहा था कि जोशीमठ धंस रहा है।

उनके विचार से भारत के भी बड़े भूवैज्ञानिक सहमत दिखे। वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हमिलाय जियोलॉजी के डायरेक्टर कलाचंद सेन ने कहा, स्लोप वाले इलाके में भूस्खलन हुआ है। इसमें वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल दोनों तरह का मूवमेंट है। हालांकि भूधंसाव में केवल वर्टिकल मूवमेंट होता है। इसलिए कहा जा सकता है कि पुरा इलाका स्लाइड कर रहा है। 14 जनवरी को भी सेन ने कहा था कि जोशीमठ के संकट को भूधंसाव का नाम दिया जाना गलत है।

हालांकि अब भू वैज्ञानिकों ने कहा है कि वहां भूधंसाव नहीं है रहा है बल्कि बढ़ी हुई भूस्खलन की घटनाएं इसके लिए जिम्मेदार हैं। यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ हल के वाइस चांसलर दावे पीटली ने अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन ब्लॉग में 23 जनवरी को लिखा, ‘गूगल अर्थ इमेजरी से स्पष्ट हो रहा है कि यह शहर पुराने भूस्खलन के मलबे पर ही बना था।’

इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कितना बड़ा इलाका भूस्खलन की चपेट में आ सकता है। उन्होंने कहा कि पहले भूधंसाव की बात कही जा रही थी। भूधंसाव से ज्यादा एरिया भूस्खलन की वजह से खतरे में आ सकता है।

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