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ग्राहकों को जल्द मिलने वाली है प्याज की बढ़ती कीमतों से राहत

प्याज के बढ़े भाव के बीच एक सरकारी ऑफिसर ने आश्वस्त किया है कि ग्राहकों को जल्द राहत मिलने वाली है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने बोला कि आयातकों ने प्याज आयात के लिए ऑर्डर दे दिए हैं व इस महीने के अंत तक एक हजार टन प्याज घरेलू मार्केट में आ जाएगा. पिछले कुछ समय के दौरान नयी दिल्ली-एनसीआर समेत कई बाजारों में प्याज का भाव 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था. लेकिन सरकार के कई कदमों के बाद इसके भाव में थोड़ी कमी आई है. फिर भी, ज्यादातर बाजारों में यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है.

अधिकारी ने बोला कि व्यक्तिगत कारोबारियों द्वारा दी सूचना के मुताबिक उन्होंने थोड़ी-थोड़ी मात्र में आयात के ऑर्डर दे दिए हैं. इनमें करीब 1,000 टन प्याज इस महीने के अंत तक आ जाएंगे, जबकि दूसरी खेप अगले महीने मिल जाएगी. प्याज के आयात से लेकर खुदरा बाजारों तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगे, इसके लिए सरकार ने पहले ही फाइटोसेनिटेशन व फ्यूमिगेशन प्रक्रियाओं में दिसंबर-अंत तक के लिए राहत दे दी है.

प्याज की उपलब्धता का मुद्दा पिछले कुछ मौकों पर सियासी रूप से भी संवेदनशील रहा है. इसी को देखते हुए इस बार सरकार प्याज का भाव नियंत्रित करने में कोई कोताही नहीं बरतना चाह रही है. इसके तहत आयात की शर्तो में ढील देने के अतिरिक्त निर्यात रोकने के कदम भी उठाए जा रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में सरकार मदर डेयरी की दुकानों के माध्यम से सस्ते में प्याज बेच रही है.

उत्पादन 52 लाख टन पर सिमटने की संभावना : खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मंगलवार को प्याज के उत्पादन में कमी का अंदेशा जताया है. उन्होंने बोला कि साल 2019-20 के खरीफ व खरीफ-बाद सीजन में प्याज का उत्पादन 26 फीसदी गिरने की संभावना है. उनके मुताबिक इस सीजन में प्याज का उत्पादन गिरकर 52.06 लाख टन रह सकता है. इस साल 15 नवंबर को प्याज का देशभर का औसत भाव 60.38 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो पिछले साल समान तिथि को सिर्फ 22.84 रुपये प्रति किलोग्राम रहा था.

लोकसभा को एक लिखित जवाब में पासवान ने बताया कि प्याज का उत्पादन मुख्य रूप से तीन सीजन में होता है. इनमें रबी (मार्च-जून), खरीफ (अक्टूबर-दिसंबर) व खरीफ-बाद (जनवरी-मार्च) शामिल हैं. जुलाई से अक्टूबर के दौरान मार्केट में जो भी प्याज आता है, वह रबी सीजन के दौरान भंडारण किया हुआ होता है. चालू साल के दौरान प्याज की बोआई में तीन-चार हफ्तों की देरी देखी गई. मानसून की देरी से खरीफ सीजन में प्याज की बोआई का रकबा भी घटा है. इसके अतिरिक्त कर्नाटक, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में असमय व अतिवृष्टि के चलते प्याज के उत्पादन व आपूर्ति में बाधा आई है.

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