त्योहारों से पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने करोड़ों खाताधारकों को तोहफा दिया है। तोहफा ये है कि एसबीआई ने हाउसिंग के साथ ही एमएसएमई और रिटेल लोन के मामले में सभी फ्लोटिंग रेट वाले लोन को रेपो रेट से जोडऩे का निर्णय किया है। 1 अक्तूबर से इस नियम को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। दरअसल आरबीआई ने बुधवार को बैंकों को निर्देश दिया था कि एक अक्टूबर 2019 से वे हाउसिंग, पर्सनल और एमएसएमई के लिए सभी नए फ्लोटिंग लोन को निर्धारित बाहरी बेंचमार्क से जोड़ दें, जिनमें रेपो भी शामिल है।
एसबीआई ने स्वेच्छा से मीडियम एंटरप्राइजेज के लिए एक्सटर्नल बेंचमार्क आधारित लोन को बढ़ावा दिया है। इससे एमएसएमई सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। एसबीआई ने 1 जुलाई 2019 को फ्लोटिंग रेट होम लोन को पेश किया था। इस स्कीम में कुछ बदलाव किए गए हैं और इन बदलावों के साथ 1 अक्टूबर 2019 से नई स्कीम लागू हो जाएगी। एसबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि, सभी परिवर्तनीय ब्याज दर वाले ऋणों के लिए हमने ब्याज दर का बाहरी मानक रेपो दर को अपनाने का निर्णय किया है।
लघु एवं उद्योग ऋण, आवास ऋण और अन्य खुदरा ऋणों पर यह ब्याज दरें एक अक्तूबर 2019 से प्रभावी होंगी। होम और ऑटो लोन सहित सभी तरह के कर्ज की ब्याज दर रेपो रेट के साथ जोडऩे से रेपो रेट में बदलाव का असर ग्राहकों की ब्याज दरों में तुरंत आएगा। चूंकि इस समय रेपो रेट घटने के दौर में है, इसलिए ग्राहकों को रेपो रेट घटने का फायदा मिलेगा। बैंकों से शिकायत रही है कि आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती की तुलना में वे ब्याज दरों में कटौती कम और देरी से करते हैं जिससे ग्राहकों और उद्योगों को पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।