एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए सरकार ने कठोर रुख अपनाया है. सरकार ने सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं करने का निर्णय लिया है. इसके लिए कड़े कदम उठाने के तरीका किए जाएंगे. एलपीजी सिलेंडर बनाने वाली कंपनियां अब एक ही औद्योगिक परिसर में मल्टिपल लाइसेंसिंग से भिन्न-भिन्न साइज व मानक के सिलेंडर नहीं बना सकेंगी. हर घर तक रसोई गैस पहुंचाने की वाली उज्ज्वला योजना की सफलता के बाद सरकार ने सिलेंडर के मानक को व कठोर बनाने का निर्णय किया है.
दरअसल, पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से 3.77 करोड़ से अधिक एलपीजी सिलेंडर खरीदने का टेंडर जारी किया गया था. पीएम ऑफिस (पीएमओ)को इस विषय में कई तरह की शिकायतें मिली थीं, जिनमें सिलेंडरों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए थे. पीएमओ ने उपभोक्ता मंत्रलय को सिलेंडर की गुणवत्ता के मानकों की समीक्षा करने का आदेश दिया है. इसके तहत मानकों को अपनाने पारदर्शिता व तकनीकी मूल्यांकन होना जरूरी कर दिया गया है.
मानक ब्यूरो के एक वरिष्ठ ऑफिसर के मुताबिक इस संशोधित नियम के लागू होने के बाद कंपनियां भिन्न-भिन्न साइज व मानक के सिलेंडर नहीं बना पायेंगी. इससे दोयम दरजे के सिलेंडर के उत्पादन पर रोक लग जाएगी. दरअसल, देश में सिलेंडर फटने से होने वाली मौतों को सरकार ने बहुत ज्यादा गंभीरता से लिया है. सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के लिए सिलेंडर बनाने का कार्य आमतौर पर प्राइवेट कंपनियां ही करती हैं. देश में वैसे 24.9 करोड़ रसोई गैस के सक्रिय कनेक्शन हैं. इनमें 29 लाख कनेक्शन व्यावसायिक हैं. देश में डबल सिलेंडर वाले कनेक्शनों की संख्या 11.9 करोड़ है. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू एलपीजी गैस कनेक्शनों की संख्या 11.3 करोड़ है.