Breaking News

त्रेता युगीन ज्योति की झलक

महर्षि बाल्मीकि सनातन संस्कृति के गौरव है. वह आदि कवि हैं. त्रिकालदर्शी महर्षि हैं. महर्षि जयन्ती पर पर योगी आदित्यनाथ के विचारों का गहन अर्थ है. इसके आधार पर भाजपा और विपक्षी पार्टियों के बीच अन्तर का अनुमान लगाया जा सकता है. योगी सरकार ने विचार और विकास दोनों पर अमल किया. इससे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से लोक कल्याण हुआ. महर्षि बाल्मीकि जयन्ती पर देव मंदिरों में अखण्ड रामायण का पाठ किया गया. सरकार इसमें भागीदार बनी. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कार्य पहले कभी नहीं हुए थे। पिछली सरकारें इन कार्यों से घबराती थीं।

👉‘फ्रेंड्स’ एक्टर मैथ्यू पेरी की मौत से सदमे में है पूरा परिवार, जारी किया बयान…

भगवान श्रीराम के चरित्र को दुनिया के सामने लाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण ही अलग-अलग कालखण्डों में अलग-अलग रामायण के रूप में सामने आयी। अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। सभी भारतीय महर्षि वाल्मीकि, संत रविदास, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। पिछली सरकारें समाज को जाति, क्षेत्र के आधार पर बाँटने तथा भाषाई आधार पर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने का कार्य करती थी।

डबल इंजन की सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ शासन की योजनाओं को प्रभावी ढंग से सभी तबकों को देने का कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश में केन्द्र और राज्य शासन के स्तर पर विगत छह वर्षों में पौने तीन करोड़ गरीबों के शौचालय बने तथा पचपन लाख गरीबों को एक-एक आवास देने का कार्य हुआ है। डेढ़ करोड़ से अधिक लाख परिवारों को निःशुल्क विद्युत के कनेक्शन तथा एक करोड़ पचहत्तर लाख परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। डबल इंजन की सरकार ने कोरोना कालखण्ड में बिना भेदभाव के हर गरीब तक निःशुल्क राशन तथा भरण पोषण-भत्ता देने और निःशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराने का कार्य किया। दुनिया में कहीं भी कोरोना प्रबंधन का ऐसा उदाहरण नहीं देखा गया।

👉तस्करी नेटवर्क चलाने वाले लोगों को पकड़ने के लिए अंतर-सरकारी सहयोग जरूरी: सीतारमण

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम का साक्षात्कार हम सबसे करवाया. महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम पर पहला महाकाव्य ‘वाल्मीकि रामायण’ रचा था. इसके बाद दुनिया भर में इसी ग्रन्थ को आधार बनाकर भगवान राम के चरित्र को रचा गया.महर्षि वाल्मीकि का पावन धाम उनकी तपोस्थली लालापुर चित्रकूट में है. उसी चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास का सर्वाधिक समय व्यतीत किया था. उसी चित्रकूट में महर्षि वाल्मीकि की तपस्थली लालापुर है. चित्रकूट में संत तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर भी स्थित है. हमारी सरकार ने दोनों पावन स्थलों को सौंदर्यीकरण करके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य किया है. उन्होंने कहा कि लालापुर में पहाड़ी पर आसानी से जाने के किये रोप वे की भी व्यवस्था की गई है.दुनिया की कोई ऐसी भाषा नहीं है, जिसने रामायण को आधार न बनाया हो।

त्रेता युगीन ज्योति की झलक

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र को जनता तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को है, तो वह महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास हैं. अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में विकास अनेक नए अध्याय जोड़े हैं। उन्होने अयोध्या जी में त्रेता युग जैसा दीपोत्सव का शुभारंभ किया था। शुभारंभ के बाद यह परम्परा के रूप में स्थापित हुआ। इसने क्रमशः अपने ही कीर्तिमानों को पीछे छोड़ा है. विश्व में दीपोत्सव का रिकॉर्ड कायम हुआ। इसी प्रकार योगी आदित्यनाथ ने वन महोत्सव का शुभारंभ किया था, जिसने अपने ही रिकार्ड को हर बार पीछे छोड़ा है। अब योगी आदित्यनाथ राम वनगमन मार्ग को वन महोत्सव अभियान में शामिल करने का अभिनव कार्य करने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत इस मार्ग पर त्रेता युग कालीन वाटिकाओं की स्थापना होगी। भारत में आदि काल से प्रकृति संरक्षण का विचार रहा है।

योगी आदित्यनाथ उससे प्रेरणा लेते है। उनका मानना है कि अतीत से जुड़ना वर्तमान समाज के लिए आवश्यक है। त्रेता युग की वाटिका व उपवन भी वर्तमान पीढ़ी में पर्यावरण चेतना का संचार करेंगी। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में अयोध्या से चित्रकूट तक राम वन गमन मार्ग में मिलने वाली अट्ठासी वृक्ष प्रजातियों एवं वनों एवं वृक्षों के समूह का उल्लेख है। महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण एवं विभिन्न शास्त्रों में श्रृंगार वन,तमाल वन, रसाल वन,चम्पक वन, चन्दन वन,अशोक वन, कदम्ब वन,अनंग वन, विचित्र वन,विहार वन का उल्लेख मिलता है।

👉पुलवामा में UP के श्रमिक की गोली मारकर हत्या. 24 घंटे के भीतर दूसरा आतंकी हमला…

रामायण में उल्लिखित अट्ठासी वृक्ष प्रजातियों में से कई विलुप्त हो चुकी हैं अथवा देश के अन्य भागों तक सीमित हो गई हैं। यथा रामायण में उल्लिखित रक्त चन्दन के वृक्ष वर्तमान में दक्षिण भारत तक सीमित हैं। वन विभाग द्वारा राम वन गमन मार्ग में पड़ने वाले जनपदों अयोध्या, प्रयागराज चित्रकूट में रामायण में उल्लिखित अट्ठासी वृक्ष प्रजातियों में से प्रदेश की मृदा, पर्यावरण व जलवायु के अनुकूल तीस वृक्ष प्रजातियों का रोपण कराया जा रहा है।

यह वृक्ष प्रजातियां- साल, आम, अशोक, कल्पवृक्ष पारिजात, बरगद, महुआ, कटहल, असन, कदम्ब,अर्जुन, छितवन, जामुन, अनार, बेल, खैर, पलाश, बहेड़ा, पीपल, आंवला, नीम, शीशम, बांस, बेर, कचनार, चिलबिल, कनेर, सेमल, सिरस, अमलतास, बड़हल हैं। राम वन गमन मार्ग पर आस पास की ग्राम सभाओं की भागीदारी से रामायणकालीन वृक्षों का रोपण कराया जा रहा है. श्री राम कथा के प्रति आस्था भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के अनेक देशों में यह प्रचलित है। रामायण अद्भुत कथा है। श्री राम का व्यक्तित्व हिमालय से ऊंचा एवं समुद्र से भी अधिक गहराई लिये हुए है। इसे सभी ने अपने।अपने ढंग से व्यक्त किया है। पुरानी एवं विलुप्त होती संस्कृति के माध्यम से रामायण का मंचन एवं नाट्य द्वारा प्रस्तुतिकरण अत्यन्त अनुकरणीय है।

👉इस्राइल-हमास युद्ध के मुद्देनजर कानूनों में बदलाव की तैयारी,PM सुनक ने की घरेलू सुरक्षा को लेकर बैठक…

यह आश्चर्य का विषय है कि इनकी कथाएं इण्डोनेशिया तथा थाइलैण्ड जैसे अन्य देशों में भी प्रचलित एवं लोकप्रिय हैं। यह नौटंकी एवं कथक का संगम दिखाने का अद्भुत प्रयास है। कला के माध्यम से जीवन में सम्मान एवं ऊंचाईयों को प्राप्त किया जा सकता है। श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। उनकी कथा का मंचन मनोरंजन के साथ ही प्रेरणादायक होता है। ऐसे सभी देशों की लोक संस्कृति में रामलीला का विशेष महत्व है। दुनिया के पैसठ देशों में रामकथा की प्रतिष्ठा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर इसका उल्लेख भी किया था। उन्होंने कहा था कि विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई देश भगवान श्री राम के नाम का वंदन करते हैं। रामायण इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और नेपाल में प्रसिद्ध और पूजनीय है। इंडोनेशिया के लोग तो कहते है कि उन्होंने उपासना पद्धति या मजहब बदला है,लेकिन अपने पूर्वज नहीं बदले है।

मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते हैं। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी की उनकी लीला कहा जाता है। रामलीला इसी भाव की रोचक प्रस्तुति होती है। समय बदला, तकनीक बदली ,लेकिन सदियों से रामलीला की यात्रा जारी है। राम कथा सुनना तथा देखना सागर में डुबकी लगाने जैसा होता है। विश्व की अनगिनत भाषाओं में राम कथा का लेखन हुआ है। रामलीला लोक नाटक का एक रूप है। यह गोस्वामी तुलसीदास की कृति रामचरितमानस पर आधारित है।

👉बढ़ते प्रदूषण से आंखों से पानी आना और जलन की हो रही समस्या? डॉक्टर से जाने बचाव के तरीके

रामलीला का मंचन तुलसीदास के शिष्यों ने सबसे पहले किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि उस दौरान काशी नरेश ने रामनगर में रामलीला कराने का संकल्प लिया था,तभी से रामलीला का प्रचलन देशभर में शुरू हुआ। नृत्य की विभिन्न शैलियों में भी रामलीला होती है। इन सबका भाव एक है। लेकिन प्रस्तुति विधि अलग है। इस बार शरद पूर्णिमा और आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी की जयन्ती के अवसर पर यह अमृत कलश प्रदेश के सभी जनपदों विकास खण्डों व नगरीय निकायों से लखनऊ पहुंचे। वसुधा वन्दन अमृत वाटिका में यहां एकत्रित इन सभी अमृत कलशों को लेकर के कल कलश यात्री देश की राजधानी दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

About Samar Saleel

Check Also

सनातन की ज्योत जगाने आया ‘सनातन वर्ल्ड’ यूट्यूब चैनल’

मुंबई। सनातन वर्ल्ड’ यूट्यूब चैनल (Sanatan World YouTube channel) सत्य सनातन हिन्दू धर्म के मूल ...