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सोनभद्र में संस्कृति व विकास की झलक

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

सोनभद्र अपनी प्राकृतिक संपदा सौंदर्य और वनवासी संस्कृति सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है। वनवासी कल्याण आश्रम ने यहां संस्कृति को कायम रखते हुए विकास को नई दिशा दी।

केंद्र व प्रदेश की सरकारें भी ऐसे क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाओं का संचालन कर रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वयं यहां की गतिविधियों से जुड़े रहे है। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह वनवासी क्षेत्रों के विकास की प्रेरणा देते रहे है।

सोनभद्र की संस्कृति

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आत्मा वनवासी आदिवासी क्षेत्रों में बसती है। यदि कोई भी इस कल्चर से परिचित होना चाहता है तो उसे सोनभद्र जैसे ज़िलों में समय बिताना चाहिए। आदिवासी समाज के विकास के बिना समग्र विकास अधूरा है। केंद्र और राज्य की सरकारें इनके विकास के अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं।

वनवासी समाज की अनेक प्रतिभाओं ने देश में अच्छा कार्य किया। विलुप्त होती जा रही वनवासी कलाओं के विकास के लिए सेवा समर्पण संस्थान कार्य कर रहा है यह देखकर ख़ुशी हो रही है। महापुरुषों की स्मृतियों और लोक कलाओं तथा गीतों के संरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है।

प्रभु श्री राम का प्रसंग

रामनाथ कोविंद ने सोनभद्र के वनवासी समागम में प्रभु राम का स्मर्णन किया। कहा कि जब भगवान राम ने रावण से युद्ध में विजय पायी थी उसमें वनवासियों का बहुत बड़ा सहयोग था। उसी प्रकार यदि देश और समाज आगे बढाना है तो पहले वनवासी समाज को आगे ले जाना होगा। सोनभद्र चार प्रदेशों की सीमाओं से घिरा हुआ है, ऐसे स्थान पर स्कूल और हास्टल संचालित होने से उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के सीमावर्ती इलाक़ों के वनवासी छात्रों को भी लाभ होगा। वनवासी क्षेत्र उनके लिए तीर्थस्थल जैसे हैं। यदि वनवासी प्रोत्साहित हों तो देश ही नहीं विदेशों में भी भारत का नाम रोशन करेंगे। पिछड़ा, दलित एवं आदिवासियों, वनवासियों का विकास ज़रूरी है। उन्होंने एनटीपीसी द्वारा निर्माण कार्य कराए जाने पर उनकी सराहना की। रामनाथ कोविंद ने सेवा समर्पण संस्थान द्वारा संचालित उक्त सेवा कुंज आश्रम परिसर में निर्मित स्कूल,छात्रावास और भोजनालय भवनों का लोकार्पण किया।

सोनभद्र में शिक्षा

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनवासी क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था के विस्तार का उल्लेख किया था। राष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया। कहा कि प्राथमिक शिक्षा के बाद बच्‍चों को बाहर नहीं जाना होगा। उन्‍हें सोनभद्र में ही मेडिकल कालेज में पढ़ने और चिकित्‍सक बनने का सौभाग्‍य प्राप्‍त होगा। जिस तरह से सेवा आश्रम काम कर रहा है और सरकार कार्य कर रही है उससे लगता है कि इस इलाके सहित छत्‍तीसगढ़,झारखंड, बिहार और मध्‍य प्रदेश का भी विकास होगा और यह देश के समृद्धतम इलाकों में शुमार होगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वनवासी समाज के अक्षम बच्‍चों को खोजकर उनको पढ़ाने की सरकार व्यवस्था कर रही है। हर घर नल और हर घर जल योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है।

स्वागत में संस्कृति

अखिल भारतीय बनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध सेवा समर्पण संस्थान ने सेवाकुंज में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व अन्य अतिथियों का वनवासी संस्कृति के अनुरूप स्वागत किया। परंपरागत लोक नृत्य कर्मा,शैला के कलाकार हैलीपैड से लेकर मंच तक किनारे खड़े होकर अपनी कला,नृत्य से राष्‍ट्रपति की आगवानी की। पांच छात्राओं ने राष्ट्रगान किया। उनके नाश्ते के लिए बनवासी संस्कृति के आधार पर बना महुए का लट्टा, मोरला तीसी का लड्डू, चने के बेसन की नमकीन शामिल की गई है। प्रसाद के लिए ज्वालामुखी मंदिर से खोए से बना पेंड़ा मंगाया गया था।

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