देश के महान नेत्र रोग विशेषज्ञ Dr. Venkatswami डॉक्टर गोविंदप्पा वेंकटस्वामी के 100th जयंती पर गूगल ने उन्हें डूडल बनाकर याद किया है। गोविंदप्पा वेंकटस्वामी को समर्पित डूडल के जरिए पूरा देश याद कर रहा है। इन्होंने अंधे लोगों के जीवन में रोशनी लाने में बहुमूल्य योगदान दिया। वह लंबे समय तक इस आर्इ हाॅस्पिटल के चेयरमैन भी रहे। अंधे लोगों के जीवन में रोशनी लाने का काम करने वाले डॉक्टर गोविंदप्पा वेंकट स्वामी ने 7 जुलाई, 2006 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
Dr. Venkatswami : अर्थराइटिस की वजह से सेवानिवृत्त
अस्पताल की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक डॉक्टर गोविंदप्पा वेंकटस्वामी का जन्म 1 अक्टूबर, 1918 को तमिलनाडु के वादा मलापुरम में हुआ था। मदुरै से उन्होंने स्नातक की उपाधि ली। रसायन शास्त्र में 1944 में चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज से मेडिकल डिग्री हासिल की। इसके बाद वह भारतीय सेना मेडिकल कोर में शामिल हो गए लेकिन रूमेटोइड अर्थराइटिस ( गठिया ) होने की वजह से 1948 में सेवानिवृत्त होना पड़ा। वह इस बीमारी से इतने ज्यादा परेशान हो गए थे कि एक साल तक बिस्तर पर रहे। चलने फिरने को मोहताज थे।
इसके बाद उन्होंने एक मेडिकल काॅलेज ज्वाइन कर ओप्थाल्मोलॉजी में अपना डिप्लोमा और मास्टर्स डिग्री पूरी की। गोविंदप्पा वेंकट स्वामी ने स्केलपेल पकड़ना और मोतियाबिंद सर्जरी करना सीखा। वह एक दिन में सौ सर्जरी करने में सक्षम थे। इसके बाद सरकारी स्कूल मदुरै मेडिकल कॉलेज में मेडिकल फैकल्टी के रूप में ज्वाॅइन किया। यहां उन्हें ओप्थाल्मोलॉजी विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया और बाद में कॉलेज के उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान इन्होंने भारत में अंधापन की समस्या से निपटने के लिए कई बड़े कार्यक्रम पेश किए। धीरे-धीरे वह प्रसिद्ध हो गए। उन्होंने करीब 100000 सर्जरी खुद की।
1973 में पद्मश्री से सम्मानित
अपने कार्यों के चलते गोविंदप्पा वेंकट स्वामी को भारत सरकार द्वारा 1973 में पद्मश्री द्वारा सम्मानित किया गया। 1976 में, 58 साल की उम्र में सरकारी सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने के बाद भी अंधापन दूर करने का संकल्प पूरा किया।