लखनऊ। देश में 70 दिनों से भी ज्यादा समय से जारी लॉकडाउन की पाबंदियों में धीरे-धीरे मॉल, मंदिर ,मस्जिद और रेस्टोरेंट खोल दिए गए है, यह स्थिति और गंभीर करती है। सरकार के कोरोना वायरस से लड़ने के हालातों को देखकर यही लग रहा है कि कोविड-19 पर नियंत्रण उनके हांथ से बाहर है। देश के कुछ जाने-माने जन स्वास्थ्य और सामुदायिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस (कोविड-19) को संभालने के सरकार के तरीके की आलोचना की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार कोरोना वायरस का सही तरीके से सामना नहीं कर पा रही है और फैसले लेने में महामारी विशेषज्ञों कोभो भी शामिल नहीं किया जा रहा। विशेषज्ञों की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि देश में 25 मार्च से 30 जुलाई तक सबसे ज्यादा पाबंदियों वाला लॉकडाउन जारी रहा, इसके बावजूद संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ।
सरकार ने लॉकडाउन एक प्रभावी संस्थान के अनुमानों को आधार बनाकर लागू किया, जिसके कई अनुमान गलत साबित हुए। अगर सरकार इसमें संक्रामक बीमारियों की जानकारी रखने वाले महामारी विशेषज्ञों की मदद लेती तो यह ज्यादा कारगर साबित हो सकता था। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास नाकाफी व्यवस्थाएं हैं। जिसके कारण इस वायरस के आगे विभाग बौना दिखाई पड़ता है। जबकि स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस से लड़ाई करने का दावा कर रहा है। उन्होंने आइसोलेशन वार्ड तो बना दिए हैं, लेकिन उनमें बैड और ऑक्सीजन सलेंडर की ही व्यवस्था नहीं है।