लखनऊ। सोमवार को जयंत चौधरी अम्बेडकर नगर के टांडा में किसान महापंचायत को सम्बोधित कर रहे थे। पंचायत में सम्बोधन की शुरुआत उन्होंने मान्यवर कांशीराम जी की जयंती पर उन्हें याद करते हुए श्रधासुमन अर्पित किए। पिछले 109 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन पर राम मनोहर लोहिया जी को स्मरण करते हुए उन्होंने उनका प्रसिद्ध वाक्य दोहराया कि अगर सड़के सुनसान हो जायेगी तो सांसद आवारा हो जायेंगी। भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह हमेशा उसूलों पर चलते थे, पर आज के भाजपा के नेता ग़ुलामों की तरह हो कर रह गए हैं।
ये लोग महापुरुषों की प्रतिमा बनायेंगे उन पर माला डाल देंगे पर कार्य बिल्कुल उलट करेंगे। जयंत चौधरी ने अपने आज के सम्बोधन को विस्तृत करते हुए भारत की अनेकता में एकता की बात को भी लोगों के सामने रखा और कहा इस देश की ताक़त अलग-अलग पहचानों के साथ-साथ उनमे एकता की हैं। इसी एकता को धक्का तब लगता हैं जब एक ही धर्म एक ही भाषा और एक ही संस्कृति को बाक़ियों पर थोपा जाता हैं।
सरकार पर हमले बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि हो सकता हैं पहले कि सरकारों ने जितने वादे किए हो उतना नही कर पाए हो पर ये सरकार तो जो काम इन्होंने किए ही नही उनको भी अपना बताती फिरती हैं। और यह इसलिए हैं क्यूँकि अपने किए काम गिनाने के लिए कुछ हैं नही। सरकार को बेरोज़गारी के मुद्दे पर घेरते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि ये बार बार कहते हैं कि तिरंगे का अपमान हो रहा हैं पर मैं बताता हूँ तिरंगे का अपमान कब होता हैं। तिरंगे का अपमान तब होता हैं जब एक बीटेक किया हुआ नौजवान एक चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन देता हैं। तिरंगे का अपमान तब होता हैं जब नौकरियो के लिए आवेदन मंगाने के बाद दो-तीन साल तक प्रकिर्या को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता हैं और बेरोज़गार सिर्फ़ इंतज़ार करता रहता हैं।
योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि पहले कहा कि पाँच साल में सत्तर लाँख नौकरिया देंगे, कुछ महीने पहले कहा कि कोरोना काल में 21 लाँख नौजवानो को नोकरिया दे दी गई, अब चार दिन पहले का बयान हैं कि हमने चार साल में चार लाँख नौकरिया दी हैं। क्या ऐसे झूठे इंसानो की बातों और वादों पर भरोसा किया जा सकता हैं?
पिछले दिनो मंदिर में पानी पीने को लेकर एक बच्चे की निर्मम पिटाई का विडीओ वायरल होने पर जयंत चौधरी ने खेद जताया और लोगों से अपील की कि अगर आज लोग आवाज़ उठनी बंद कर देंगे तो समाज बिखर जायेगा। इसका एक स्वरूप हमने मंदिर में एक आसिफ़ नाम के बच्चे की पानी पीने को लेकर हुई निर्मम पिटाई के रूप में देखा हैं। ये हमारी तहज़ीब नही हैं। इसलिए हमें समाज को बिखरने और टूटने से बचाने के लिए अच्छे लोगों को आगे आकर इस प्रकार के घिनोने क्रत्यो के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करनी होगी।
करोना काल की दिक़्क़तों को लेकर भी जयंत चौधरी ने बात की और कहा कि जब सबके रोज़गार जा रहे थे, सबकी आमदनी कम हो रही थी तब अड़ानी ने दुनिया में सबसे ज़्यादा पैसे कमाये। अम्बानी ने हर घंटे नब्बे हज़ार करोड़ की कमाई की। एक किसान को इतने पैसे कमाने में हज़ारों साल लग जाएँगे तब भी नही कमा पायेगा। नौकरीपेशा इंसान, मज़दूर इसी समय अपनी सारी पूँजी खो रहा था। ऐसा इसलिए हो रहा था क्यूँकि सरकार ने जो नितिया बनाई हैं उन नीतियों से सिर्फ़ अमीरों का फ़ायदा हैं और ऐसी ही नीति को ध्यान में रख कर ये तीन कृषि क़ानून हैं जो बनाए तो किसानों के नाम से हैं पर एक भी क़ानून से किसानों को कोई फ़ायदा नही है उल्टा किसान अपनी ज़मीन पर मज़दूर बन कर रह जायेगा।