लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन के विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर केजीएमयू द्वारा आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी रक्तदाताओं को बधाई दी और रक्तदान के प्रति प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वर्ष में कम से कम एक बार रक्तदान अवश्य करें। उन्होंने कहा कि य़ह सामजिक कार्य है. आकस्मिकता की स्थिति में मरीज की जीवन रक्षा में रक्त की आवश्यकता एक बहुत बड़ा फैक्ट है। रक्तदाता के एक बार के रक्तदान से तीन मरीजों की जान बचायी जा सकती है। आकस्मिकता किसी के साथ भी घट सकती है। इसलिए अपने परिजन की आकस्मिकता के बारे में भी सोचे और रक्तदान अवश्य करें।
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राज्यपाल ने कहा कि रक्त निर्माण शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है। रक्तदान के उपरांत शरीर में पुनः रक्त का निर्माण हो जाता है। रक्तदान से किसी प्रकार की शारीरिक कमजोरी नही आती है। स्वस्थ व्यक्ति वर्ष में दो या उससे अधिक बार भी रक्तदान कर सकता है। समाज में कई जिम्मेदार नागरिक कई तरह से सामाजिक हितों के प्रति सचेत रहकर अपरिचितों के सहायतार्थ भी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं। बहुत से अज्ञात सहृदय नागरिक किसी अपरिचित मरीज के लिए भी स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं। उन्होंने कहा कि ये कार्य ईश्वरीय प्रेरणा से जुड़ा एक पुनीत कार्य है।
राज्यपाल ने शिविर में व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और राजभवन के रक्तदाता अधिकारियों और कर्मचारियों का उत्साहवर्द्धन किया। उन्होंने मौके पर रक्तदाताओं को रक्तदान प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि राजभवन के जो अधिकारी और कर्मचारी किसी अस्वस्थता के कारण आज के शिविर में रक्तदान में असमर्थ रहे वे अगले शिविर में रक्तदान अवश्य करें। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने केजीएमयू द्वारा सम्पादित स्वैच्छिक प्लेटलेट एफेरेसिस रक्तदाता रजिस्ट्री का विमोचन भी किया।
इस पुस्तक में उन रक्तदाताओं का विवरण संकलित किया गया है, जिन्हें विशेष आवश्यकता के तहत रक्तदान के लिए बुलाया जा सकता है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, आलोक कुमार ने कार्यक्रम में राज्यपाल जी को रक्तदान से जुड़ा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में केजीएमयू के कुलपति (लेजन.) बिपिन पुरी ने रक्तदान पर समाज में फैली भ्रांतियों पर विशेष चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुल रक्तदान में मात्र 30 प्रतिशत जागरूक नागरिक ही स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं।
शेष 70 प्रतिशत रक्तदान मरीजों के परिजनों द्वारा आकस्मिकता की स्थिति में जीवन रक्षा के दृष्टिगत ही किया जाता है। उन्होंने एक रक्तदाता द्वारा रक्तदान से तीन मरीजों की जान बचाने की तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि रक्तदान से प्राप्त रक्त के तीन अवयवों को अलग-अलग आवश्यकतानुसार प्रदान किया जाता है। ये रक्त अवयव लाल रक्त कणिका, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स होते हैं और मरीज को उसकी जरूरत के अनुसार रक्त अवयव ही प्रदान किया जाता है।
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केजीएमयू की तरफ से इस पूरे कार्यक्रम की मुख्य आयोजक डॉ तूलिका चंद्रा, प्रोफेसर एवं विभागध्यक्ष, ट्रान्सफ्यूजन मेडिसन विभाग ने बताया कि सिंगल डोनर प्लेटलेट एफेरेसिस की प्रक्रिया से मिलती है। इसके लिए मरीज के ब्लड ग्रुप के ही रक्तदान की आवश्यकता होती है। अक्सर मरीज के ब्लड ग्रुप का रक्तदाता उसके परिजनों और मित्रों में नही मिल पाता है, जिसके कारण आवश्यकता होने पर ऐसे मरीज को उसके ग्रुप का डोनर इस रजिस्ट्री बुक के माध्यम से तलाश कर रक्त की आपूर्ति की जायेगी। केजीएमयू में स्थापित ये व्यवस्था प्रदेश की पहली और अनुपम है। इसके अतिरिक्त डॉ तूलिका चंद्रा ने बताया कि केजीएमयू में ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की पहली और एकमात्र पैथोजिन रिडक्शन मशीन भी स्थापित है, जिससे रक्तदान में प्राप्त रक्त में समस्त संक्रमण को समाप्त करने की क्षमता है।
आज आयोजित इस रक्तदान शिविर में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल, डॉ सुधीर महादेव बोबडे, चिकित्सा प्रभारी राजभवन अनिल निर्वाण, महिला चिकित्सक राजभवन डॉ गीता चौधरी सहित बड़ी संख्या में कुल 82 अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने रक्तदान किया। इस शिविर से केजीएमयू नेे कुल 82 यूनिट रक्त संग्रहण किया।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री