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शिक्षा के साथ सामाजिक सरोकारों पर राज्यपाल का जोर

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल शिक्षा संस्कृति और समाजिक सरोकारों के महत्त्व को रेखांकित करती हैं. शिक्षा आवश्यक है। लेकिन इसमें अपनी संस्कृति और समाजिक सरोकारों का बोध होना चाहिए। इसके अभाव में शिक्षा अधूरी रहती है। समाज और राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखते हुए ही अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए। नई शिक्षा नीति में इन सभी तत्वों का समावेश किया गया है। आनन्दी बेन पटेल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इन सभी बातों का उल्लेख किया।

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उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा देश में सबसे पहले नयी शिक्षा नीति-2020 का विजन लागू करने और नैक की सर्वोच्च रैंक प्राप्त करने पर बधाई दी। कहा कि अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार होने से नैक रैंकिंग की उच्च श्रेणियाँ प्राप्त हो रही हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को भी नैक की सर्वाेच्च रैंक प्राप्त हो गयी है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों को अपने दायित्व क्षेत्र का विस्तार करना चाहिए। उन्हें शैक्षणिक पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। अपितु उन्हें सामाजिक समस्याओं के निराकरण,क्षय रोगियों को उनके स्वस्थ होने तक पोषण देखभाल हेतु गोद लेने, गाँवों के आंगनवाड़ी केन्द्रों और प्राथमिक स्कूलों में सुधार करने के लिए भी दायित्व पूर्ण कार्य करना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि सब मिलकर कार्य करेंगे,सब एक साथ जुड़ेंगे तभी सबका साथ-सबका विकास सफल होगा। शिक्षा का उपयोग देश समाज और परिवार हित में होना चाहिए। उन्होंने वृद्धाश्रमों के बढ़ते प्रचलन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इसे भारतीय संस्कृति के विपरीत बताया। विद्यार्थियों को अपने परिवार के प्रति आदर और समर्पण भाव रखने को संदेश दिया। राज्यपाल ने भारत को मिली जी-20 देशों की अध्यक्षता भूजल सम्वर्द्धन और जल संरक्षण पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रभावी प्रयास, खेलों में प्रतिभागिता के बढ़े अवसरों का भी उल्लेख किया। उन्होने मोटे अनाज और पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने का आह्वान किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने समारोह में विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।

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दीक्षांत समारोह में पद्म विभूषण डॉ के. कस्तूरीरंगन मुख्य अतिथि थे। मंत्री उच्च शिक्षा योगेन्द्र उपाध्याय और राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि थीं। डॉ संजय सिंह, सीईओ, जेनोवा बायो-फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड भी उपस्थित थे, जिन्हें विश्वविद्यालय ने इस दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि से सम्मानित किया। योगेन्द्र उपाध्याय और रजनी तिवारी ने भी लखनऊ विश्वविद्यालय को NAAC द्वारा A++ मान्यता प्राप्त होने पर बधाई दी।

योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों का समग्र विकास होगा। डॉ के. कस्तूरीरंगन ने कहा कि देश को मजबूत करने के लिए युवाओं को उचित ज्ञान, कौशल के लिए तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण होगा। आत्मनिर्भर भारत में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की भूमिका हैं। हाल के वर्षों में इसरो स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों पीएसएलवी और जीएसएलवी का उपयोग करके उपग्रह प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर बन गया है। अब विश्व स्तर के उपग्रह प्रक्षेपण वाहन हैं। यह भारत की क्षमताओं और क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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