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भूगर्भ जल सरंक्षण

प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है। पर्यावरण का नुकसान हुआ। प्रदूषण में वृद्धि हुई। भूगर्भ जल का स्तर भी नीचे गिरता गया। इस स्थिति को रोकने के लिए पिछले कई दशकों से पर्याप्त प्रयास नहीं किये गए। इससे समस्या बढ़ती रही। विगत चार वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में अनेक योजनाएं लागू की गई। इनके सकारात्मक परिणाम मिल रहे है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भूगर्भ स्तर के संबन्ध में विगत सवा चार वर्षों के दौरान प्रदेश को क्रिटिकल से सेमी क्रिटिकल स्थिति में पहुंचाने में सफलता मिली है। भूजल स्तर के उन्नयन हेतु वर्ष तीन वर्ष पूर्व अटल भूजल योजना का शुभारम्भ किया गया था। प्रारम्भ में इस योजना के अंतर्गत छब्बीस जनपद आच्छादित थे। वर्तमान में अटल भूजल योजना पूरे प्रदेश में संचालित की जा रही है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में बड़ी जनसँख्या और भौगौलिक विविधता है। इसके दृष्टिगत प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मॉडल अपनाकर जल प्रबन्धन के कार्य किए जा रहे हैं। वर्षा जल संचयन हेतु चित्रकूट क्षेत्र में तालाबों, कुओं का निर्माण एवं जीर्णोद्धार तथा वाराणसी में निष्प्रयोज्य हैण्डपम्पों का उपयोग जैसे मॉडल अपनाए गए हैं। भूजल में फ्लोराइड, आर्सेनिक जैसे तत्वों को कम करने तथा पानी के खारेपन को दूर करने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।

शुद्ध पेयजल आपूर्ति का भी अभियान चलाया गया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इससे अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों में इंसेफेलाइटिस से पहले कई मौतें हो जाती थीं। लेकिन विगत सवा चार वर्षों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं,स्वच्छता एवं पाइपलाइन द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था से इस बीमारी से होने वाली मृत्यु में पंचानबे प्रतिशत की कमी आयी है। स्वच्छ भारत मिशन द्वारा लोगों को शौचालय उपलब्ध कराए गए। इन प्रयासों से हमने डायरिया व अन्य जल जनित बीमारियों से बहुत हद तक निजात पायी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्षा जल संचयन हेतु भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियमन अधिनियम बनाया है। सरकारी भवनों, स्कूल, कॉलेजों की इमारतों तथा प्राधिकरणों के नियमों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। विगत चार वर्षों में लगभग सौ करोड़ पौधे रोपित कर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। प्रदेश में गंगा यात्रा,गंगा हरितिमा कार्यक्रम शुरू किए गए। गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्र को जैविक खेती से जोड़ा जा रहा है।

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रदेश में नदी संवर्धन एवं जल प्रबन्धन के कार्य संचालित किए जा रहे हैं। खेत की मेड पर फलदार वृक्ष लगाने वाले किसान को राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क पौधे प्रदान किए जा रहे हैं तथा जैविक वृक्षारोपण अपनाने वाले किसानों को तीन वर्ष तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड,विन्ध्य क्षेत्र में हर घर नल योजना क्रियान्वित की जा रही है। प्रदेश के पचास हजार राजस्व ग्रामों तक यह योजना क्रियान्वित की जाएगी।

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