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‘बढ़ते पर्यटक हिल स्टेशनों के लिए गंभीर खतरा, इसे सीमित करने की जरूरत’, HC की सख्त टिप्पणी

वायनाड। केरल के वायनाड जिले में जुलाई में मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अब हाईकोर्ट ने हिल स्टेशनों पर बढ़ते पर्यटकों की संख्या पर चिंता जताई है। उसने शुक्रवार को केरल सरकार से 25 अक्तूबर तक राज्य के सभी हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की क्षमता के बारे में एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

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'बढ़ते पर्यटक हिल स्टेशनों के लिए गंभीर खतरा, इसे सीमित करने की जरूरत', HC की सख्त टिप्पणी

संख्या को सीमित करने की जरूरत

एके जयशंकरन नांबियार और श्याम कुमार वीएम की पीठ ने वायनाड भूस्खलन के बाद शुरू किए एक मामले में सख्त टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि हिल स्टेशनों में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को सीमित करने की जरूरत है।

अदालत ने आगे कहा कि हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की क्षमता मूल्यांकन नीति निर्माताओं और प्रशासनों को पारिस्थितिकी एवं संरक्षण के हित में पर्यटक क्षेत्रों के प्रबंधन की प्रणाली तैयार करने के लिए मार्गदर्शन करने के लिए किया जा सकता है।

हिल स्टेशनों के लिए यह गंभीर खतरा

अदालत ने कहा, ‘केरल के हिल स्टेशन भारत में सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले पर्यटन स्थलों में से हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या और विशेषज्ञों की राय के बिना बने बुनियादी ढांचे हिल स्टेशनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इमारतों और मनोरंजन सुविधाओं की बढ़ती संख्या के कारण पहाड़ियों पर कंक्रीट का बोझ बढ़ गया है और समतलीकरण गतिविधियों के साथ मिलकर इन्हें राज्य के विभिन्न स्थानों में भूस्खलन का प्रमुख कारण माना जा रहा है।’

अदालत ने कहा कि पर्यटकों की क्षमता का अनुमान लगाना, राज्य में हिल स्टेशनों में प्रवेश करने वाले वाहनों और आगंतुकों की संख्या को सीमित करना सभी के हित में है।

30 जुलाई को हुआ था भूस्खलन

वायनाड केरल के प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है, जो मुख्य रूप से घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करता है। 30 जुलाई को आए भूस्खलन ने क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया था। मेप्पाडी पंचायत, जहां भूस्खलन ने 200 से अधिक लोगों की जान ले ली और कई अभी भी लापता हैं। त्रासदी के बाद से सबसे अधिक प्रभावित चूरमाला, अट्टामाला और मुंडक्कई गांवों में रिसॉर्ट बंद हैं।

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