अहमदाबाद। राजकोट के गेमजोन में लगी आग का मामला इन दिनों सुर्खियों में हैं। इस बीच, गुजरात उच्च न्यायालय ने आज मामले में गुजरात सरकार की आलोचना की। उन्होंने पूछा कि बिना अनुमति के गेमजोन चल रहा था तो अब तक तत्कालीन नगर निकाय के प्रमुख को निलंबित क्यों नहीं किया गया। उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई। आगे की सुनवाई 13 जून को निर्धारित की गई है। बता दें, हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई थी।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और देवन देसाई की विशेष पीठ ने आज जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान, आरएमसी के वकील जी एच विर्क ने हलफनामे के माध्यम से अदालत को बताया कि गेम जोन के मालिकों ने कभी भी किसी भी अग्नि एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया था।
गेमजोन बिना किसी पुलिस अनुमति के चल रही थी। जून 2023 में विध्वंस आदेश पारित करने वाले मामले में न्यायमूर्ति वैष्णव ने पूछा कि उसके बाद क्या हुआ? आप 27 लोगों की जान जाने तक चैन से बैठे रहे। आपने एक साल तक कुछ नहीं किया।
मामले में महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने पीठ को आश्वासन देते हुए कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) की अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत सामने आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी को 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा दी गई है।
इसके बाद राज्य सरकार कार्रवाई करेगा। सुनवाई के दौरान, त्रिवेदी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां अधिकारियों को बिना किसी जांच के फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। न्यायमूर्ति वैष्णव ने कहा कि अगर वे दोषी हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ना ही होगा।
एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह दावे
एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट से साफ होता है कि आग बुझाने के लिए लगाए गए पाइप में पानी का कोई कनेक्शन नहीं था। मौके से केवल एक सूखा रासायनिक पाउडर भरा अग्निशामक सिलेंडर मिला। इसका उपयोग पहले रेस्तरां और रसोईघर में किया जाता था। एसआईटी ने यह भी कहा कि राजकोट नगर निगम का नगर नियोजन और अग्निशमन विभाग इस घटना से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। एसआईटी ने कहा कि टीआरपी गेम जोन तीन साल से अधिक समय से चल रहा है। इसमें पक्का निर्माण भी हुआ था। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कृषि भूमि में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन गलत
रिपोर्ट में एसआईटी ने आगे बताया कि यह स्थान गैर-कृषि भूमि है। इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। यहां गेमिंग जोन जैसी व्यावसायिक गतिविधियां नहीं हो सकतीं। बावजूद इसके स्थानीय सहायक नगर नियोजन अधिकारी और सहायक अभियंता ने अपने कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही बरती।