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ज्ञानवापी मस्जिद मामला : एक और अर्ज़ी SC में हुई दाख़िल, ‘प्लसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ का लिया संज्ञान

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अश्वनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में कहा कि याचिका में कहा कि यह मामला सीधे तौर पर उनकी धर्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है। सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है। यह संपत्ति हमेशा से उनकी रही है।

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्ज़ी दाखिल हुई। भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट ने अर्ज़ी दाखिल की है। अश्वनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में मस्जिद कमेटी की अर्ज़ी को खारिज करने की मांग की है।

ज्ञानवापी मस्जिद मामला : एक और अर्ज़ी SC में हुई दाख़िल, ‘प्लसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ का लिया संज्ञान

याचिका में कहा गया है कि इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद वैध नहीं होती है। याचिका में कहा कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धर्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता।

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अश्वनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में कहा कि उनको भी पक्षकार बनाया जाए और उनका पक्ष को भी मामले में सुना जाए। याचिका में कहा को यह मामला सीधे तौर पर उनकी धर्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है।सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है। यह संपत्ति हमेशा से उनकी रही है।

किसी सूरत में संपत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता है। याचिका में कहा कि एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मंदिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहां तक कि नामज़ पढ़ने से मंदिर का धर्मिक स्वरूप नहीं बदलता जब तक कि विसर्जन की प्रक्रिया द्वारा मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाये।

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