कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश हुए आम बजट को खोखला करार देते हुए शनिवार को कहा कि इसमें कुछ ठोस नहीं था और बेरोजगारी से निपटने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ”मुख्य मुद्दा बेरोजगारी है। मुझे इसमें कोई ऐसा विचार नहीं दिखा जो रोजगार पैदा करने के लिए हो।” गांधी ने कहा कि यह इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण हो सकता है लेकिन इसमें कुछ ठोस नहीं था। इसमें पुरानी बातों को दोहराया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बजट नये और आत्मविश्वासी भारत की रूपरेखा देता है, यह आने वाले वर्षों में देश को स्वस्थ एवं समृद्ध बनाएगा। बजट में सभी वर्गों के कल्याण और विकास पर स्पष्ट ध्यान केंद्रित है, इसमें किसानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि लोगों की इनकम नहीं बढ़ी है। क्या किसानों की आय दोगुनी हुई। क्या नौजवानों को रोजगार मिलने लगी है। लोगों की इनकम खत्म हो रही है।
कांग्रेस वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा था, ”किसानों की आय दोगुना करने का वित्त मंत्री का दावा खोखला है और तथ्यात्मक वास्तविकता से परे है। कृषि विकास दर दो फीसदी हो गयी है। आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास दर को 11 फीसदी रहना होगा।” उन्होंने दावा किया, ” निर्मला सीतारमण बजट संबन्धी गणित को स्पष्ट करने में विफल रही हैं। नवंबर महीने तक जो राजस्व आया है वो बजट आकलन का सिर्फ 45 फीसदी है।” शर्मा ने वित्त मंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ”लच्छेदार भाषा और ऊंची आवाज में बोलना और पुरानी बातें करने का कोई मतलब नहीं।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ऐसे दौर में जबकि भारत आर्थिक रूप से नीचे की ओर जा रहा है, वित्त मंत्री सीतारमण का बजट भाषण आम नागरिकों की मदद करने के बजाए प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) की सराहना पर अधिक केन्द्रीत है।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि स्कूली और उच्च शिक्षा में काफी बजट बढ़ा है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि स्टैंड अप इंडिया की जगह शिटडान इंडिया की तरफ जा रहा है।