Breaking News

मिलावटी दूध से खतरे में सेहत

देश भर में बच्चे-बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार व्यक्ति प्रतिदिन दूध और इससे बने उत्पादों का सेवन करते हैं। मगर दूध में मिलावट से स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, जिनके परिणामस्वरूप घातक बीमारियां सामने आती हैं। बाजार में उपलब्ध दूध से तैयार अधिकांश उत्पादों में पानी, सिंथेटिक रसायन, यूरिया और अन्य हानिकारक तत्त्वों की मिलावट पाई गई है। इस समस्या का वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण करना आवश्यक है, ताकि स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर परिणामों को लेकर सचेत हुआ जा सके। यह जानना समझना महत्त्वपूर्ण है कि दूध में मिलावट के लिए कौन-कौन से पदार्थों का उपयोग किया जाता और ये स्वास्थ्य पर किस प्रकार असर डालते हैं।

ऋतुओं को निगलने लगा प्रदूषण

मिलावटी दूध से खतरे में सेहत

आमतौर पर दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें पानी मिलाया जाता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए कुछ मायनों में ही हानिकारक है। असली खतरा तब पैदा होता जब इसमें यूरिया, डिटर्जेंट, सिंथेटिक दूध, स्टार्च और कुछ रसायन मिलाए जाते हैं। ये रसायन दूध के प्राकृतिक पोषण को नष्ट करते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होते हैं। उदाहरण के लिए, यूरिया एक रासायनिक यौगिक है जिसे सामान्यतः कृषि में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है, लेकिन जब इसे दूध में मिलाया जाता है, तो यह न केवल दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि गुर्दे, लीवर और अन्य अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।

2 पत्नियों और 4 बच्चों के साथ हुए मशहूर, आलोचना झेलने के बावजूद बने वायरल सेंसेशन

दुग्ध के कुछ प्रोटीन परीक्षणों में नाइट्रोजन की मात्रा मापी जाती है। यूरिया में नाइट्रोजन की उच्च मात्रा होने कारण, यूरिया मिले दूध के परीक्षणों में प्रोटीन की मात्रा कृत्रिम रूप से अधिक दिखाई देती है। यह मिलावट न केवल उपभोक्ताओं को भ्रमित करती बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रपट के अनुसार, हर साल लगभग 60 करोड़ लोग खाद्य मिलावट के कारण बीमार पड़ते हैं, जिनमें।

Please watch this video also

कई मामलों में मिलावटी दूध का सेवन शामिल है। इसी तरह, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की एक रपट में यह बताया गया कि 2018 में किए गए एक अध्ययन में 68 फीसद दूध के नमूने मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थे प्राधिकरण ने चेतावनी दी कि मिलावट वाले दूध का सेवन करने वाले लोगों में कैंसर के मामलों में 30 फीसद वृद्धि हो सकती है। यह स्थिति विशेष: तब गंभीर हो जाती है, जब मिलावट में रासायनिक तत्त्व, जैसे फार्मेल्डहाइड और यूरिया शामिल होते हैं, जो कैंसर की वजह बनते हैं और जीन में परिवर्तन का कारण बन सकते हैं।

फार्मेल्डेटाइड शरीर की कोशिकाओं में जीन में परिवर्तन कर कैंसर का जोखिम बढ़ा देता है, जबकि यूरिया की मिलावट दूध की गुणवत्ता को कृत्रिम रूप से बढ़ा देती है। इन रसायनों का सेवन न केवल कैंसर का खतरा पैदा करता है, बल्कि गुर्दे और लीवर की विफलता जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। अनुसंधान से यह भी स्पष्ट है कि मिलावट के कारण गुर्दे की विफलता के मामलों में चालीस फीसद और हृदय रोगों के मामलों में पच्चीस फीसद तक की वृद्धि हो सकती है। डब्लूएचओ की ‘कैंसर रिस्क असेसमेंट’ रपट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि रासायनिक मिलावट से प्रभावित व्यक्तियों स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

मिलावटी दूध से खतरे में सेहत

ऐसे में, विश्वसनीय परीक्षण प्रणालियों का विकास और क्रियान्वयन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। वर्तमान में भारत में दूध की शुद्धता जांचने के लिए कई तरीकों का उपयोग किया जाता है, लेकिन इनमें से कई परीक्षण तकनीक पुरानी और अप्रभावी साबित हो रही हैं। हमें अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, जो दूध में मिलावट का तुरंत और सटीक पता लगाने में सक्षम हों, ताकि मिलावट की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके। उदाहरण के लिए एचपीएलसी एक अत्यंत संवेदनशील तकनीक है जो दूध यूरिया, डिटर्जेंट और सिंथेटिक पदार्थों की पहचान के लिए उपयोग में लाई जाती है। इस तकनीक का उपयोग करके मिलावट का पता लगाया जा सकता है।

Please watch this video also

‘जर्नल आफ डेयरी साइंस’ में प्रकाशित शोध के के अनुसार, एचपीएलसी तकनीक का उपयोग करके दूध में मिलावट की पहचान करने की सटीकता सत्तानवे फीसद तक थी। गैस क्रोमेटोग्राफी (जीसी) भी एक प्रभावशाली तकनीक है, जिसका उपयोग दूध में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और अन्य रसायनों की पहचान के लिए किया जाता है। यह विधि दूध में मिलावटी तत्त्वों की पहचान के लिए अत्यधिक सटीक मानी जाती है। इन तकनीकों के उपयोग से न केवल दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे मिलावट के मामलों में भी कमी आएगी। इसलिए, के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि दूध की शुद्धता बनी रहे और लोगों स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

विजय गर्ग

इन परीक्षण और प्रभावी रूप से लागू करने खाद्य इस संकट से निपटने के लिए सख्त कानून और दंडात्मक प्रावधानों का कार्यान्वयन किया जाए। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण सुरक्षा के कड़े नियम बनाए हैं, लेकिन उनका प्रभावी पालन और नियमों का ढंग से कार्यान्वयन सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। बाजार में बिकने वाले अधिकांश दूध उत्पादों में मिलावट पाए जाने पर भी कई बार दोषियों पर उचित कार्रवाई नहीं होती। इससे अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं और मिलावट का धंधा बेरोक-टोक चलता रहता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि ऐसे दूध उत्पादकों, वितरकों और विक्रेताओं पर सख्त कानूनी सनी कार्रवाई की जाए। खाद्य मिलावट के गंभीर अपराध मान कर कर दोषियों को भारी को भारी जुमनि और कठोर कठोर कारावास का प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि इस तरह के अपराध पर रोक लग सके। इसके अलावा, जनजागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है, ताकि उपभोक्ता स्वयं खरीदे गए दूध और जांच कर सकें और मिलावट के प्रति सजग रहें। र दुग्ध उत्पादों की तकनीकी नवाचारों के माध्यम से से उपभोक्ताओं की की जागरूकता और सतर्कता बढ़ेगी, जिससे अपनी खरीदारी में बेहतर निर्णय ले और दूध शुद्ध तथा सुरक्षित दूध उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित । हो सकेगी। उत्पादकों को यह समझना चाहिए कि अल्पकालिक मुनाफे के लिए मिलावट करना समाज के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। एक शोध से यह भी प्रमाणित होता है कि मिलावट करने वाले विक्रेताओं की पहचान होने पर उनके उत्पादों की बिक्री में लगभग चालीस फीसद 5 की गिरावट देखी जाती है।

इसलिए, उपभोक्ताओं को भी शुद्धता तक सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय और स्रोतों से दूध खरीदने को प्राथमिकता देनी चाहिए। विश्वसनीय स्रोतों से दूध दूध जिससे कैंसर में मिलावट हमारे देश के स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाल रही है, कैंसर, हृदय, गुर्दे और यकृत रोगों का खतरा बढ़ रहा है। यह केवल अकेले सरकार का काम नहीं है कि वह मिलावट पर नियंत्रण करे, बल्कि दूध उत्पादकों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभानी होगी। मिलावट के खिलाफ साझे प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, दुग्ध उद्योग और उपभोक्ता मिल कर काम करें। इसके लिए सख्त कानून, बेहतर परीक्षण प्रणालियों और नैतिक जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि भविष्य में इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सके।

About Samar Saleel

Check Also

पेड़ से टकराई तेज रफ्तार स्कॉर्पियो, दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत, तीन घायल

बिजनाैर जनपद के नहटौर में तेज रफ्तार स्कॉर्पियो अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। घटना में ...