विश्वास की डोर जितनी नाजूक है उतनी कठोर भी क्योंकि इन्सान के निजी एवं दैनिक कार्यों में बिना विश्वास के किसी भी रिश्ते का चलना कठिन होता है। पवित्र रक्षा बंधन त्योहार भाई बहन के अटल विश्वास को दर्शाता है और सम्बन्धों को प्रगाढ़ करता है।आज भी आफिस,घर या रिश्ते विश्वास पर ही चलते हैं।हाल के दिनो में या कुछ दशकों से एक दूसरे पर विश्वास करने की कमी से इन्कार नहीं किया जा सकता।जिसके कारण बढती अपराधीक घटनायें, सम्बन्धों में बढ़ती दूरियां तालाक का चलन, उत्पीडन, या ब्लैक मेलिंग इत्यादि ने इस तरह समाज में पाँव फैलाये कि आज लोग विश्वास शब्द को भूलने को विवश हो गये हैं, लेकिन इतनी परेशानियों के वाबजूद भाई बहन का विश्वास आज भी जीवित,पवित्र और सामाजिक सम्बन्धों का प्रबल केन्द्र है। जितनी ज्यादा विश्वास होगी संम्बन्ध प्रगाढ होते जाएँगे।
विश्वास ही वो कुँजी है जो सम्बन्धों के बंद ताले को खोलता भी है और जोड़ता भी है।समाज में भी किसी को भी किसी के जीवन में विश्वास के वगैर दखल नही दिया जा सकता है, बुरे समय में विश्वास ही सर्वाधिक सहायक होते हैं, परन्तु त्योहारो से रिश्तों में विश्वास की डोर प्रगाढ़ होती है जो रिश्तों को मजबूती से आगे बढाता है, ऐसा माना गया है कि रिश्तों में व्यापारीकरण हानिकारक होती है, जैसा कि सभी कहते हैं परिवारिक सम्बन्धों के अतिरिक्त समाज में सबसे प्रिय सम्बन्ध और मधुर सम्बन्ध भाई बहन का होता है, यह एक मर्यादित सम्बन्ध है और विश्वास का भी अर्थात जिस पर आप आंख मूंदकर विश्वास कर सकते हैं।
इन सम्बन्धों में आयु, शिक्षा एवं धन की समानता आवश्यक नहीं होती अपितु सौ फीसदी विश्वास पर टिका सम्बन्ध है। यह बचपन की सुनहरी यादों का खजाना होता है जो रक्षाबंधन आते ही तरोताजा कर जाती। यह अटूट सम्बन्ध न अधिक समय नष्ट करता, न निजी जीवन में दखल देता, बल्कि कठिन समय में सहायता करता, अनावश्यक खर्च भी नही करवाता। सम्बन्ध कितना भी प्रिय हो एक दूसरे पर विश्वास की ही जरूरत पडती है। इन्सान के जीवन में सबसे अधिक प्रभाव विश्वास का होता है, क्योंकि विश्वास के बगैर किसी भी इन्सान से सम्बन्ध या कार्य असंभव हो जाता है, विश्वास के कारण ही धोखे का आरम्भ है, इसलिये विश्वास को हमेशा बरकरार रखकर ही किसी भी सम्बन्धों को आगे बढाया जा सकता है।