Breaking News

ICMR ने चीनी रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का ऑर्डर किया रद्द, सरकार ने कहा- एक भी रुपया नहीं डूबेगा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने देश में कोरोना संक्रमितों की टेस्टिंग के लिए चीन की दो कंपनियों के रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का ऑर्डर किया था, जिसको रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि टेंडर जारी करने में सभी जरूरी प्रक्रिया का पालन किया गया था। कंपनियों को फिलहाल पेमेंट नहीं किया है, अब ऑर्डर कैंसिल करने से एक भी रुपया नहीं डूबेगा।

और साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि राज्यों को चीन के गुआंगझोऊ वोंडफो बायोटेक और झूहाई लिवजॉन डायग्नोस्टिक से मिलीं किट का इस्तेमाल रोकने के लिए कहा गया है। इनके टेंडर में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल थीं। टेंडर जारी करने में सभी जरूरी मानकों का ध्यान रखा गया था।

अग्रवाल ने बताया कि जब ऑर्डर लेने वाली कंपनियों से टेस्ट किट मिलीं तो इनमें कुछ शिकायतें सामने आईं। आईसीएमआर ने तुरंत टेंडर रद्द कर दिया। फिलहाल, किसी दूसरी कंपनी को टेंडर नहीं दिया है। अग्रवाल ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में आरपीसीटी  टेस्ट किट उपलब्ध है। स्थितियों के हिसाब से हम क्षमताएं भी बढ़ा रहे है। आरटीपीसीआर एक विश्वसनीय जांच प्रक्रिया है। इससे हमें संक्रमितों की पहचान करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो रही।

आईसीएमआर अपने मापदंडों के हिसाब से काम कर रहा है। हम अपने लैब और कलेक्शन सेंटर बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। हम देश के हर हिस्से में नए लैब बना रहे हैं, जिससे जांच में तेजी लाई जा सके। आईसीएमआर की ओर से टेस्ट किट पाने की पहली कोशिश में कंपनियों से समुचित जवाब नहीं मिला। दूसरी बार में कई कंपनियों ने जवाब दिया।

इसके बाद संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए दो कंपनियों बायोमेडिक्स और वोंडफो का चयन किया गया। दोनों के पास इसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण थे। वोंडफो के लिए मूल्यांकन कमेटी को चार बोलियां मिलीं। इसकी ओर से 1204 रु., 1200 रु., 844 रु. और 600 रु. की बोलियां लगाई गई। हमने 600 रु. की बोली को मंजूरी दी।

इस टेस्ट से कोरोना के संदिग्ध मरीजों के खून के नमूनों की जांच की जाती है। ये संदिग्ध मामलों की तेजी से स्क्रीनिंग और उनका पता लगाने के लिए जरूरी है। मरीज के स्वाब की पैथोलॉजी लैब में होने वाली टेस्ट से मिलने वाले नतीजों की तुलना में रैपिड टेस्ट किट से नतीजे कम समय में मिल जाते हैं। रैपिड टेस्ट में एक कमी है।

शरीर में अगर कोरोना वायरस है, लेकिन उस पर एंडीबॉडीज ने असर नहीं डाला तो रैपिड टेस्ट निगेटिव आएगा। यानी वायरस की मौजूदगी है, लेकिन पता नहीं चलेगा। ऐसे में उस व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण बाद में उभर सकते हैं और तब तक वह दूसरों को संक्रमित कर सकता है। जबकि आरटीपीसीआर टेस्ट में नतीजे सटीक आते हैं।

राज्यों ने आईसीएमआर से किट के नतीजों को लेकर शिकायत की थी। तब आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने 21 अप्रैल कहा था, ‘‘तीन राज्यों में किट की एक्यूरेसी में फर्क सामने आया है। कुछ जगहों पर इसकी एक्यूरेसी 6% और कुछ पर 71% है। कोरोना महज साढ़े तीन महीने पुरानी बीमारी है। इसकी जांच की तकनीक में सुधार आता रहेगा, लेकिन हम इन नतीजों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’

About Aditya Jaiswal

Check Also

आज का राशिफल: 29 मार्च 2024

मेष राशि:  आज का दिन आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। आप इधर-उधर समय व्यर्थ ...