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शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था के साथ रचनात्मकता का महत्वपूर्ण संबंध- डॉ अलका सिंह 

लखनऊ लिटफेस्ट, मेटाफर में लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की शिक्षिका एवं “कलर्स ऑफ़ ब्लड” की लेखिका डॉ अलका सिंह ने महिला सशक्तिकरण, साहित्य रचनाओं में महिला संवाद एवं उनसे जुड़े मुद्दों पर पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था के साथ रचनात्मकता का भी एक विशेष एवं महत्वपूर्ण संबंध है।

सामाजिक, शैक्षणिक आर्थिक, नैतिक एवं न्यायिक व्यवस्था में उलझे हुए पक्षों और पहलुओं का जो संवाद निकल कर आता है, उसका किसी भी व्यक्ति विशेष या आम आदमी के साथ जो संवाद जन्म लेता है, वह भी रचनात्मकता का आधार हो सकता है। अपनी पुस्तक “कलर्स ऑफ ब्लड” के शीर्षक के बारे में उन्होंने बताया कि जिस प्रकार मनुष्य का मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य, स्वयं के साथ, परिवार के साथ, समाज के साथ कई प्रकार के संवादों, चर्चाओं को जन्म देता है, जो कि मनुष्य के शारीरिक संरचना और “होमियोस्टैसिस कांसेप्ट” से जुड़ा एक विशेष पहलू है।

होमियोस्टैसिस का संबंध खून अथवा ब्लड से है, व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य कई रंगों को, संवादों को जन्म देता है, अर्थात जो साहित्य और रचनाएं इससे जन्म लेती हैं उसका आधार यही ब्लड है। बीते वर्षो में 2019, 20 और 21 के बाद जो साहित्य उभर कर आता है, वह विशेष प्रकार का अंतरविषयी संबंध दर्शाता है। ऐसे परिवेश में रजोधर्म एवं उससे जुड़ी व्यवस्थाओं पर बात करें, तो साहित्य भी एक खूबसूरत पहलू हमारे समक्ष रखता है। सांकेतिक, दबे, कुलचे, उलझे, संकुचित, सिमटे हुए संवादों को कविताओं, कहानियां और साहित्य की अन्य विधाओं के माध्यम से एक सुदृढ़ सामाजिक व्यवस्था का निर्माण हो सकता है, जहां हम लैंगिक समानता की समझ पैदा कर सकते हैं।

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शक्ति के संवाद को समझने के लिए भी आवश्यक है की महिला सर्वप्रथम स्वयं से संवाद करें, और उनसे जन्मे अपने भावों को साहित्य के माध्यम से साझा करें तो एक विशेष प्रकार का साहित्य जन्म लेता है जिसे हम अंग्रेजी में “लिटरेचर विद अ कॉज” कह सकते हैं। लेखिका एवं कवित्री डॉ अलका सिंह ने अत्यंत रुचिकर पहलुओं को उकेरते हुए अंग्रेजी और हिंदी में काव्य पाठ भी किया।

लखनऊ साहित्य महोत्सव में “कलर्स ऑफ ब्लड” एक सशक्त काव्य संग्रह बनकर उभरा। द इकोनॉमिस्ट ग्रुप की एडिटर एवं पत्रकार राशि लाल ने प्रश्नोत्तरी श्रृंखला से महिला सशक्तिकरण और साहित्य में में हो रहे प्रयोगों और विशेष पहलुओं पर बातचीत करते हुए डॉ अलका सिंह को उनकी पुस्तक कलर्स ऑफ ब्लड को मिल रही सराहना हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

इन दिनों राजधानी लखनऊ में साहित्य, संस्कृती और सामाजिक पहुलुओं को उजागर करता साहित्य महोत्सव, मेटाफर, साहित्य और कला प्रेमियों के उत्साह के आयोजन का विशिष्ट पहचान बना हुआ है। यह सोशल मीडिया का भी आकर्षण बना हुआ है। इसी मेटाफर में 17 दिसम्बर दोपहर साढ़े तीन बजे राशी लाल, द इकोनॉमिस्ट ग्रुप से जुड़ी सम्पादक एवं पत्रकार, एवं देश, विदेश से शिरकत कर रहे साहित्य प्रेमियों के समक्ष उपस्थित हुईं। लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह, जो साहित्य जगत के महिला संवादों और महिला सशक्तिकरण समेत कई संवदेनशील मुद्दों पर मुखर हुईं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर पहुंची अपनी पुस्तक “कलर्स ऑफ ब्लड” पर भी चर्चा की। रोचक जानकारी उपलब्ध कराते सूत्रों से यह भी बता दें कि इस लिटफेस्ट में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो आर पी सिंह शिक्षा जगत से जुड़ी भावनाओं को अपने नाटकों एवं कविताओं के माध्यम से साझा करेंगे।

17 और 18 दिसंबर को लखनऊ के लेबुआ में आयोजित होने वाले इस साहित्य महोत्सव में भारतीय फिल्मों की पटकथा लिखने वाले लेखक जावेद अख़्तर, हिरोइन शबाना आज़मी, रेडियो जगत में चर्चित नाम मीनू खरे, आर्मी वेटरन कर्नल घोसाल, टीवी एक्ट्रेस सुष्मिता मुखर्जी समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान रखने वाले कई नामचीन हस्तियां शामिल हो रही हैं। मेटाफर लिटफेस्ट की फाउंडर डायरेक्टर कनक रेखा चौहान है। यह इस साहित्य महोत्सव का दसवां साल है।

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