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जीवन शैली में योग का समावेश

लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के प्रत्येक दिन का शुभारंभ योग से किया गया। यह सांयोग है कि इस समारोह में प्रधानमंत्री का भी संबोधन होगा। इसके पहले भी प्रातः योग शिविर आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव पर न्यूनतम समय में सर्वाधिक देशों के समर्थन का कीर्तिमान कायम हुआ था।

इसका मतलब है कि अन्य देश भी इस भारतीय विरासत से प्रभावित है। आधुनिक जीवन शैली में शारीरिक व मानसिक व्याधियां बढ़ी है। इसी अनुपात में दवाइयों पर निर्भरता भी दिखाई दे रही है। जबकि योग से इन समस्याओं का निवारण किया जा सकता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने शताब्दी समारोह के माध्यम से यह सन्देश दिया है। योग शिक्षक डॉ अमरजीत यादव के निर्देशन में प्रतिदिन योग शिविर का आयोजन किया गया।

इस दौरान उन्होंने योग के सैद्धान्तिक पक्ष को भी रेखांकित किया। इसमें आचार,विहार,यम नियम आदि का भी समावेश है। इन पर अमल से पूरी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आता है। जिससे शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शताब्दी उत्सव के अंतर्गत छठा योग शिविर लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वितीय परिसर के प्रशाशनिक भवन के प्रांगण में प्रातः काल सम्पन्न हुआ। योग शिविर के शुभारंभ प्रो. डी.एन.एन.एस.यादव, इंचार्ज द्वितीय परिसर के द्वारा किया गया।

योग शिविर के दौरान डॉ यादव ने बताया कि शारीरिक एवं मानशिक संकाय के लिए निरंतर इस प्रकार के योग शिवरों का आयोजन होना चाहिए। योग शिविरों में प्रतिभाग करने से छात्र छात्राओ के शरीरिक विकास के साथ ही साथ उनकी बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है इसलिए इस प्रकार के आयोजन समय की आवश्यकता है। डॉ अमरजीत यादव ने कहा कि शताब्दी वर्ष के अंतर्गत अब तक योग के छः आयोजन किये जा चुके हैं। योग के आयोजनो की विशेषता यह है इस प्रकार के आयोजन विश्विद्यालय के सभी फ़ैकल्टी के लिए किया गया।

प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उन्होंने बताया कि प्रातःकाल योगाभ्यास करने से शरीर की बॉयोलोजिकल क्लॉक जैविक घड़ी ठीक रहती है। जैविक घड़ी के ठीक रहने से व्यक्ति का मूढ़, मानशिक स्तर ठीक रहता है। साथ ही साथ प्रातः काल योगाभ्यास कर लेने से हम अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक को ठीक करके अपने पाचन,श्वसन, शरीर के पोषण एवं शरीर से ख़राब पदार्थों की क्रिया तेज कर सकते हैं। योग से उपरोक्त सभी लाभ वैज्ञानिक आधार से प्रमाणित हो चुके हैं।

इसलिए हमें अपनी जीवन शैली में योग को अपनाना चाहिए। योग शिविर के दौरान तिर्यक त्रिकोणासन,वीरभद्रासन तृतीय स्टेज,हलासन, मकरासन,गोमुखासन, का अभ्यास कराया गया। इसके अतिरिक्त अनुलोम विलोम, भ्रामरी,सूर्य भेदी, प्राणायामों का अभ्यास कराया गया ध्यान के अभ्यास के पश्चात सत्र का समापन हुआ। शिविर में डॉ मोहम्मद अहमद,प्रॉक्टर,द्वितीय परिसर तथा डॉ उमेश कुमार शुक्ला छात्र छात्राएं सहित स्थानीय नागरिकों ने शिविर में प्रतिभाग किया।

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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