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फिर से खेल भावना…? नबी-रोहित के बीच सुपर ओवर में रन को लेकर हुए विवाद पर अश्विन ने दी अपनी राय

भारत और अफगानिस्तान के बीच तीसरे टी20 में रिकॉर्ड दो-दो सुपरओवर खेले गए। पहले सुपर ओवर में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और अफगानिस्तान के मोहम्मद नबी के बीच बहस भी देखने को मिली थी। रोहित नबी पर भड़क गए थे। दरअसल, मुकेश कुमार की गेंद पर नबी शॉट मिस कर गए थे और गेंद विकेटकीपर संजू सैमसन के पास गई। नबी और गुरबाज रन के लिए दौड़ पड़े थे।

सैमसन ने थ्रो किया, लेकिन वह स्ट्राइकर एंड के स्टंप्स को मिस कर गई। इसके बाद गेंद नबी के पैर से लगकर लॉन्ग ऑन पर चली गई। तब तक नबी और गुरबाज ने भागकर दो और रन ले लिए। उस गेंद पर तीन रन आए। रोहित नबी को डिफ्लेक्टेड थ्रो का फायदा उठाते हुए देखकर खुश नहीं हुए, जिससे खेल भावना की बात सामने आ गई। हालांकि, भारत के अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन की इस मामले पर अलग राय है।

अश्विन वह खिलाड़ी हैं जिन्होंने कभी खेलभावना का पक्ष नहीं लिया है। उनकी वजह से मांकडिंग और रिटायर्ड आउट जैसी स्ट्रैटजी सामने आई थी। उन्होंने अक्सर खेल के नियमों का पक्ष लिया है। इस बार हालांकि, अश्विन ने एक भारतीय प्रशंसक होने के नाते दो बातों को सामने रखा है। उन्होंने कहा- इस कहानी के दो पहलू हैं। अगर हम मैदान पर वह टीम हैं, जिसके खिलाफ रन लिया गया है तो जो कुछ भी हुआ उससे हम बहुत चिढ़ जाएंगे। हम कहेंगे कि अगर हम मैदान पर होते तो शायद ऐसा नहीं करते। यह हमारी निजी राय और विचार है।

अश्विन ने कहा- एक भारतीय फैन के रूप में मैं यह कह सकता हूं कि अगर हम विश्व कप नॉकआउट मैच में सुपर ओवर का सामना कर रहे हैं, तो एक गेंद पर जीतने के लिए दो रन हैं और विकेटकीपर के थ्रो पर गेंद हमसे लगकर दूर चली जाती है तो हम भी दौड़ेंगे। एक खिलाड़ी कैसे नहीं चाहेगा ये?’ अश्विन को नहीं लगता कि बल्लेबाज ने उन अतिरिक्त दो रनों को लेकर कुछ भी गलत किया। उन्होंने इसे एक उदाहरण देकर समझाया।

अश्विन ने कहा- इसके लिए एक उदाहरण है। एक गेंदबाज सिर्फ आपका विकेट लेने के लिए गेंदबाजी कर रहा है। अगर आप उस गेंद को हिट करते हैं तो आप एक रन बना लेते हैं। जब गेंद पैड से टकराती है, तो यह लेग बाई होती है। जब यह आपके शरीर से नहीं लगता और फिर भी रन मिलते हैं तो उसे बाई कहा जाता है। जब गेंद बल्लेबाज से दूर होगी है तो उसे वाइड कहा जाता है। जब गेंदबाज पैर क्रीज से बाहर निकालता है, तो यह नो-बॉल होती है। ये सब तब होता है जब गेंदबाज किसी का विकेट लेने की कोशिश कर रहा होता है। उसी तरह जब कोई फील्डर थ्रो करता है, तो वे ऐसा क्यों करते हैं? आपको रन आउट करने के लिए। मैं दौड़ने के अपने अधिकार के अंदर हूं। इसमें क्रिकेट और खेल भावना की बात कहां से आ गई?

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