चौकाने वाले फैसले लेने में भाजपा बेजोड़ है। उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल की अटकलें कई महीने से लग रही थी। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि पितृपक्ष में यह कार्य होगा। वैसे सरकार के मुखिया सन्यासी है। इसलिए उनके नेतृत्व में विस्तार करना अनुचित नहीं है। कुछ दिन पहले ही भाजपा ने निषाद पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा की थी। भाजपा मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने संजय निषाद का स्वागत किया था।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा और निषाद पार्टी साथ मिलकर लड़ेगें। इस गठबंधन में अपना दल पहले से शामिल है। भाजपा समाज के सभी लोगों को हम साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है। पार्टी समावेशी समाज के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा का अति पिछड़ा अति दलित वर्ग पर भी पहले से फोकस रहा है। केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा संगठन ने ओम प्रकाश राजभर को भी पूरा सम्मान दिया था। भाजपा से गठबंधन करने के बाद वह पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। लेकिन वह लगातार अपनी सरकार पर हमला बोलते रहे। उनका यह कार्य संविधान की संसदीय व्यवस्था के प्रतिकूल था। जिसमें मंत्रिपरिषद सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना से कार्य करती है। अंतिम सीमा तक ओम प्रकाश राजभर को बर्दाश्त किया गया। इसके बाद उनको हटाया गया।उनकी जगह इसी समुदाय से ही मंत्री बनाये गए।
इस समय सभी पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ चल रही है। योगी सरकार में डॉ दिनेश शर्मा उप मुख्यमंत्री है। कॉंग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्री बना कर भाजपा ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के विचार को आगे बढ़ाया है। योगी आदित्यनाथ का दावा रहा है कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को उपलब्ध करा रही है। मंत्रिपरिषद में भी इस विचार का समावेश रहा है।
चुनाव से पहले इसे पहले से अधिक मजबूती प्रदान की गई है। जितिन प्रसाद,संगीता बिंद मल्लाह,धर्मवीर प्रजापति,पलटूराम, छत्रपाल गंगवार बरेली, दिनेश खटिक,संजय गौड़ मंत्री बनाये गए।इसमें पिछड़ा,दलित ब्राह्मण के अलावा अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व है।