नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि ऐसी दुनिया में, जो इतनी अस्थिर और अनिश्चित है, भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मजबूत संबंध एक ‘महत्वपूर्ण स्थिरता कारक’ हो सकता है।
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विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) ब्रूगेल वार्षिक सेमिनार के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि अस्थिर दुनिया में दोनों पक्षों के बीच मजबूत संबंध पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में लोकतंत्र, सैन्य तानाशाही और आतंकवाद के मामले में पश्चिमी शक्तियों की ‘सुविधाजनक’ और ‘चुनिंदा’ मानकों के लिए कड़ी आलोचना की।
उन्होंने कहा दुनिया इस समय दो बड़े संघर्षों का सामना कर रही है। इन्हें अक्सर सिद्धांत के तौर पर पेश किया जाता है। हमें बताया जाता है कि विश्व व्यवस्था का भविष्य दांव पर लगा है। फिर भी रिकॉर्ड दिखाता है कि इन सिद्धांतों को कितने चुनिंदा और असमान तरीके से लागू किया गया है।
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जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना यह भी कहा कि हमारे अपने महाद्वीप में अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना की गई है, जिसके महत्वपूर्ण परिणाम हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में हमारे पड़ोसियों और पश्चिम में हमारे पड़ोसियों के लिए अलग-अलग मानक लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, जो अपने इतिहास के बड़े हिस्से में सीधे अपनी सेना द्वारा नियंत्रित रहा है, उसे शीत युद्ध के चरम के दौरान पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका से बड़े पैमाने पर समर्थन मिला है।
मौजूदा वैश्विक व्यवस्था के सामने चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में बदलाव करने के लिए संसाधनों की कमी को लेकर विकासशील देशों के लिए उत्पन्न निरंतर ‘निराशा’ को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा मुक्त व्यापार में कमी है और खासकर निष्पक्ष व्यापार में कमी होती जा रही है। वैश्विक व्यापार प्रणाली कुछ लोगों के लाभ के लिए बनाई गई है। हालांकि, विदेश मंत्री ने विश्वास जताते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद, भारत-यूरोपीय संघ आज की अस्थिर दुनिया में एक ‘स्थिर’ शक्ति होंगे।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी
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