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भारत भाषा बहुल राष्ट्र, इसको संरक्षित करने का प्रयास किया जाना चाहिए- प्रो सूर्य प्रकाश दीक्षित

लखनऊ। शिक्षा शास्त्र विभाग लखनऊ विश्व विद्यालय एवं भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय भाषाओं के माध्यम से उच्च शिक्षा : चुनौतियां एवं अवसर विषय पर आज (20 दिसंबर) राधा कमल मुखर्जी हाल लखनऊ विश्विद्यालय में आयोजित किया गया। संगोष्ठी का समन्वयन डॉ अर्पणा गोडबोलेडॉ आकांक्षा सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विभागाध्यक्ष प्रो तृप्ता त्रिवेदी द्वारा सभी का स्वागत किया गया।

भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित व संवर्धित करने के लिए भारतीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका- डॉ आकांक्षा सिंह

डॉ आकांक्षा सिंह ने संगोष्ठी का उद्देश्य प्रस्तुत किया उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित व संवर्धित करने के लिए भारतीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है और इस संगोष्ठी का उद्देश्य उच्च शिक्षा पर भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और किस प्रकार हम भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ा सकते हैं।

हमे अंतरावलोकन व आत्म चिंतन की आवश्यकता- प्रो वाईपी सिंह

प्रो वाईपी सिंह जो कि हिंदी तथा भारतीय भाषा विभाग लखनऊ ने कहा कि समय आ गया है कि हमे अंतरावलोकन व आत्म चिंतन की आवश्यकता है। प्रो केडी सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समय की आवश्यकता है कि अनुवाद संस्थानों की स्थापना की जाए जिससे विद्यार्थी भारतीय भाषाओं से विमुख न हो।

मुख्य वक्ता प्रो सूर्य प्रकाश दीक्षित ने बताया कि हर जीवित भाषा की कुछ विशेषता होती हैं- बोलचाल में उसका प्रयोग होता हो, उसका साहित्य हो, उसका संचार व सोशल मीडिया में प्रयोग होता हो, शिक्षा में सहायक हो, वैश्विक ज्ञान में वृद्धि करे।

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भारत भाषा बहुल राष्ट्र है भाषा व बोली को संरक्षित करने का प्रयास किया जाना चाहिए मौलिक चिंतन हमेशा अपनी ही भाषा में आता है। किसी भी भाषा के लिए उसका मानक उच्चारण, लिपि, व्याकरण एवं वर्तनी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत सराहनीय है कि सरकार के द्वारा भारतीय भाषाओं के लिए प्रयास किया जा रहा है इसके लिए हम सभी को संकल्प लेने की ज़रूरत है कि हम भारतीय भाषाओं में शब्दावली का निर्माण करे, भारतीय भाषा में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करे कार्यशाला व संगोष्ठी का आयोजन करे।

संगोष्ठी में 60 से ज़्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में दो सत्रों में शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। समापन सत्र में प्रो मुकुल श्रीवास्तव पत्रकारिता विभाग ने अध्यक्षता की ने प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन अर्चना पाल ने किया।

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