बनारस रेल इंजन कारखाना में राजभाषा पखवाड़ा 2021 के अंतर्गत आज भारतीय भाषा संगोष्ठी का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया। वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डॉ. संजय कुमार सिंह ने संगोष्ठी में शामिल अधिकारियों और विभिन्न भाषा-भाषी बरेका कर्मियों का स्वागत करते हुए भारतीय भाषाओं में विविधता के बावजूद आत्मिक एकता की प्रासंगिकता को उजागर किया।
डॉ. सिंह ने आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं को एक मंच पर लाकर उनके साहित्यकारों का स्मरण करने के साथ-साथ उन भाषाओं की रचनाओं में उद्धृत प्रसंगों, उसकी गंभीरता और गहनता को सहज रूप से प्रस्तुत करने को अतुलनीय और अनुकरणीय बताया। श्रीमती करुणा सिंह ने मैथिली भाषा में विद्यापति की रचना माँ काली की स्तुति से संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
सुरेश पी. नायर ने मलयालम भाषा में डॉ. ओ.एन.वी. कुरुप की रचना कोतम्बु मनिकल, प्रशांत चक्रवर्ती ने बांग्ला भाषा में रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना प्रश्न, पारीजा रंजन ने उड़िया भाषा में गोपबंधु दास की रचना चिलिका दर्शन, एम. भावना ने तमिल भाषा में भारती दासन की रचना तमिलुक्कु अमुदेञ्जु, वीरेन्द्र कुमार मधुकर ने मराठी भाषा में फकीरराव मुंजाजी शिंदे की रचना आई (माँ), यास्मीन फातिमा ने उर्दू भाषा में अल्लामा इकबाल की ग़ज़ल, मक्काला राजू ने तेलुगू भाषा में शंकरम सुंदराचार्य की रचना मां तेलुगू ताल्लिकी मल्येपु, रवीन्द्र नाथ सोरेन ने संथाली भाषा में भागबत मुरमू ठाकुर की रचना सोहराय सेरेञ्ज, अरविन्द प्रताप सिंह ने हिंदी भाषा में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचना रश्मिरथी के कुछ प्रासंगिक अंश एवं अरविन्द कुमार तिवारी ने संस्कृत भाषा में महाकवि माघ की रचना शिशुपाल वधम् से कुछ सामयिक अंश प्रस्तुत किया।
बरेका के वरिष्ठ अनुवादक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने सभी अभ्यागतों और सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ अनुवादक अमलेश श्रीवास्तव के संचालन में संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता