सूखे और कोविड-19 महामारी का सामना कर रहे पूर्वी अफ्रीकी देश मोजाम्बिक को भारत ने 500 टन खाद्य साहयता और तेज गति वाली इंटरसेप्टर नौकाएं पहुंचाई है। भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस केसरी मोजाम्बिक के मापुटो बंदरगाह पर पहुंच चुका है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण के अनुरूप आठवीं तैनाती है। विदेश मंत्रालय तथा भारत सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में इसे संचालित किया जा रहा है।
भारत ने सागर दृष्टिकोण के तहत पूर्वी अफ्रीकी देश को पहुंचाई गई मदद।
मोजाम्बिक स्थित भारतीय दूतावास ने सोमवार को इस बारे ट्वीट कर कहा आईएनएस केसरी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करते हुए मानवीय सहायता और तेज गति इंटरसेप्टर नौकाओं के साथ मोजाम्बिक के मापुटो बंदरगाह पर लंगर डाल दिया है।
यह सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) सिद्धांत के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए एक गौरवशाली दिन है।
खाद्य साहयता के साथ तेज गति वाली इंटरसेप्टर नौकाएं भी पहुंचाई गईं।
आईएनएस केसरी ने मई-जून 2020 में मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स, मेडागास्कर और कोमोरोस को मानवीय और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए इस तरह का मिशन शुरू किया था, जिसमें कई स्थानों पर भारतीय नौसेना की चिकित्सा सहायता टीमों की तैनाती भी शामिल है।
भारतीय नौसेना ने 15 मित्र देशों के लिए तैनात किया जहाज: मई 2020 से, भारतीय नौसेना ने सागर मिशन के तहत 15 मित्र देशों में जहाजों को तैनात किया है। समुद्र में 215 दिनों में इन तैनाती ने 3,000 मीट्रिक टन से अधिक खाद्य सहायता, 300 मीट्रिक टन से अधिक एलएमओ, 900 ऑक्सीजन सांद्रता और 20 आईएसओ कंटेनरों की संचयी सहायता प्रदान की है। इन मिशनों को अंजाम देते हुए भारतीय नौसेना के जहाजों ने करीब 40,000 एनएम की संचयी दूरी तय की है जो पृथ्वी की परिधि से लगभग दोगुनी है।
क्या है मिशन सागर: मिशन सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मॉरीशस यात्रा के दौरान वर्ष 2015 में नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने हेतु शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य सिद्धांत; सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, समुद्री मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान तथा समुद्री सहयोग में वृद्धि इत्यादि है।