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मानवता को भारत की भेंट है योग व श्री अन्न- आनन्दी बेन

लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने मोटे अनाज के प्रति एक बार फिर लोगों को जागरूक किया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में इसकी मांग बढ़ रही है। क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। भारत की पहल पर इस वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने “अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023” घोषित किया है। यह मानवता को भारत का अमूल्य उपहार है।

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श्री अन्न में प्रोटीन,आहार फाइवर और अच्छी गुणवत्ता वाले पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। यह स्वास्थ्य वर्धक होते है। राज्यपाल आनन्दी बेन ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में योग और मिलेट् दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इसके प्रयोग के लाभ और व्यंजनों के प्रचार प्रसार कराने को कहा।

विश्वविद्यालय के छात्रावास में कम से कम सप्ताह में दो दिन विद्यार्थियों को मोटे अनाज से बनी खाद्य वस्तुएं देने की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कि विद्यर्थियों को स्वस्थ रखा जा सके। हॉस्पिटलों में भी मरीजों को मोटे अनाज से बनी वस्तुएं खाने के लिए देनी चाहिए।

आनंदीबेन पटेल एरा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गयी डिपार्टमेंट ऑफ हैपीनेस कार्यक्रम को सराहनीय बताया। कहा कि दूसरों की सहायता करने, किसी को खुशी प्रदान करने से खुद को हैपीनेस मिलती है।

आनन्दी बेन ने फूड एण्ड न्यूट्रिशन के साथ पढ़ाई पूरी करने वाली छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि जब हमारी बेटियों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त होगी तो वे अपने परिवार को सही दिशा निर्देश दे पायेंगी कि किसको क्या खाना चाहिए जिससे हमारा समाज स्वस्थ और स्वच्छ बनेगा। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करने पर जोर दिया गया है।

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कार्यक्रम में राज्यपाल ने स्कूली बच्चों को बैग तथा पाठ्य पुस्तकें भी वितरीत किया। उन्होंने आंगनवाड़ी महिला कार्यकत्रियों को कुर्सी, खिलौने तथा अन्य वस्तुएं प्रदान की तथा उनका अभिनंदन किया उच्च शिक्षा योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा हमको पूर्ण बनाती है। शिक्षा केवल शिक्षित होने के लिए नहीं बल्कि संस्कारित होने के लिए ग्रहण करनी चाहिए। जब तक हम शिक्षा को संस्कार के साथ नहीं जोडे़ंगे तब हम खुद को शिक्षित नहीं कह सकते हैं। अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूकता ही देश सेवा है।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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