जिलेभर में तम्बाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के बढ़ते खतरे से निपटने और इससे नई पीढ़ी को बचाने के लिए खोरदा पुलिस ने नियमित और प्रभावी तरीके से सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम (केाटपा) का कार्यान्वयन शुरू करने का फैसला किया है। इस संबंध में, मंगलवार को कोटपा जागरुकता अभियान कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन खोरदा जिला पुलिस के नेतृत्व में अल्ला मेलू चैरीटेबल फाउंडेशन (एसीएफ) के सहयोग से संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के तकनीकी सहयेाग द्वारा किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम (केाटपा) को लागू करने में पुलिस के अन्य राज्यों के अनुभव को भी साझा किया गया।
जिला पुलिस अधीक्षक राधा बिनोद पाणिग्राही ने कहा कि तंबाकू मुक्त खोरदा बनाने के लिए एक कार्ययेाजना तैयार की जायेगी, जिसके तहत जिले को पूरी तरह से तंबाकू मुक्त बनाया जायेगा। यह कार्य सभी के सकारात्मक सहयेाग से युवा पीढ़ी को बचाने के लिए किया जायेगा।
जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हम सबका सामाजिक दायित्व भी बनता है कि हम दैनिक कार्यों के साथ साथ समाज के लिए भी सकारात्मक रुप से काम करे। खासतौर पर सभी शिक्षण संस्थानेां के एक सौ गज की दूरी पर व सार्वजनिक स्थानेंा पर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की बिक्री व सेवन दोनेां पर ही रोक लगाने की आवश्यकता है। ताकि हमारी युवा पीढ़ी को इससे बचाया जा सके। इसके लिए अभियान चलाया जायेगा।
उन्होने कहा, “हम जिले में केाटपा के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे। आज के प्रशिक्षण ने हमें समस्या की भयावहता को समझने में मदद की है। ऐसे घातक व्यसनों से युवाओं को रोकना बेहद जरूरी है।” युवाअेां को इस तरह के नशों से बचाने मंे पुलिस अपनी भूमिका सकारात्मक तरीके से निभाकर जिले को तंबाकू मुक्त बनाएगा।
इस अवसर पर कलिंगा हास्पीटल के कैंसर सर्जन और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डॉ. दिलीपकर ने कहा, “तंबाकू जनित बीमारियों के मेरे मरीज जिनका ऑपरेशन किया जाता है उन्हें काफी तकलीफदायी हेाता है और वे गुणवत्ता वाला जीवन नहीं जी पाते हैं। इससे उनके परिवार को भी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है।
उन्होने कहा ऐसे सभी लोगों को तम्बाकू का सेवन करने लिए पछतावा होता है। अगर हम समाज से तंबाकू को खत्म करते हैं, तो हम 50 प्रतिशत कैंसर और 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर को रोक सकेंगे। इनका मुख्य कारण तंबाकू है। पुलिस जैसी कानून लागू करने वाली संस्थाएं केाटपा के प्रभावी कार्यान्वयन कर हमारी युवा पीढ़ी को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। कार्यक्रम में उपिस्थत सभी पुलिस अधिकारियों ने कोटपा व कैंसर रोग के बारे में सवाल भी पूछे।
उड़ीसा में 129 बच्चे प्रतिदिन शुरु करते है तंबाकू सेवन
प्रशिक्षण कार्यक्रम में तंबाकू जनित बीमारियों के कारण परिवारों की पीड़ा का वर्णन करते हुए डाक्टर दिलीपकर ने कहा कि “मैं खुद एक कैंसर सर्जन हूं और मैंने तंबाकू के कारण परिवारों को नष्ट होते देखा है। उड़ीसा में 129 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू का उपयोग शुरू करते हैं। तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण हर साल 46,000 लोगों की मौत होती। जोकि बेहद चिंताजनक है। केाटपा के प्रभावी कार्यान्वयन से निश्चित रूप से तंबाकू के खतरे को कम करने में मदद करेगा। ” इस महामारी को रोकने में सभी को सकरात्मक तरीके से पहल करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केाटपा में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान, तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन और प्रचार, नाबालिगों को इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से तंबाकू के खतरे को कम करने में मदद मिलेगा।
केाटपा की सबसे खास बात यह है कि पुलिस द्वारा इसके लागू करने से स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की उपलब्धता, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान और नाबालिगों को इसकी बिक्री में को कम करेगा। इससे तंबाकू के प्रसार में कमी आएगी।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) 2016-17 के अनुसार उड़ीसा में 1.5 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन व उपयोग करते हैं और अनुमान है कि इसमें प्रति वर्ष 46000 लोगों की तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। उड़ीसा में 45.6 प्रतिशत लोग (15़ आयु वर्ग के) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 7 सिगरेट और 1.4 करोड़ (42.9 प्रतिशत) धूम्रपान बीड़ी है।
इस प्रशिक्षण में जिले के पुलिसथानों के अधिकारियों, जवानों, संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के प्रमोद कुमार, टाटा ट्रस्ट के असीम प्रदान इत्यादि ने भाग लिया।