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आपदा राहत की प्रेरणा

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल कोरोना आपदा राहत के प्रति संवेदनशील है। वह स्वयं भी इस दिशा में प्रयास कर रही है। इसी के साथ जरूरतमंदों को सहायता देने के लिए प्रेरित कर रही है। पिछले दिनों उन्होंने राजभवन से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया था। वह विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन सेवा की दिशा में कार्य करने का सन्देश दे रही है। ऐसी ही एक बेबीनार में उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के कारण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में शिथिलता नहीं होनी चाहिए। इससे कुपोषण बढ़ सकता है। सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाएं सबको भोजन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही हैं। इसमें अन्य लोगों को भी योगदान करना चाहिए। सरकार प्रसार सेवाओं के माध्यम से भी कृषि उत्पाद को खरीदने के लिए खरीद केंद्रों को सक्रिय किया है।

किसान उत्पादक संघों द्वारा कृषि उत्पादनों के उचित दाम प्राप्त करने हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध है। कृषि आय को बढ़ाकर कर एवं गांव से शहरों की ओर पलायन रोकने हेतु समुचित कदम उठाये जा रहे हैं। कृषि फसलों में कटाई के उपरान्त होने वाले नुकसान को रोकना आवश्यक है। इसके लिए वेयर हाउस,कोल्ड स्टोरेज,कोल्ड चेन सुविधा द्वारा दूध एवं अन्य शीघ्र नष्ट होने वालों पदार्थों को हानि से बचाने हेतु क्षमता विकास एवं उचित बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाना आवश्यक है। आयुष मंत्रालय इस दिशा में प्रयास कर रहा है। राज्यपाल ने इसके लिए औषधीय एवं सगंधीय पौधों के उत्पादन को लाभप्रद बताया। कहा कि हल्दी, अदरक, लहसुन चुकन्दर, आंवला, पालक, ब्रोकली, नींबू वर्गीय फल, अनार, पपीता, पोदीना, तुलसी, अश्वगंधा, सौफ, लौंग, कालीमिर्च एवं गिलोय जैसे हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए।

इनका लाभ वायरस जन्य बीमारियों के विरूद्ध प्रतिरक्षण प्रणाली को सुदृढ़ करने में उठाया जा सकता है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। लाॅकडाउन के समय कृषि संयुक्त प्रणाली की उपयोगिता अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गयी है। इसके अन्तर्गत दूर संवेदन प्रणाली, कृषि विपणन, कृषि कार्यों में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस,कृषि ड्रोन एवं परिशुद्ध खेती आदि के अनुसंधान एवं इसके उपयोग को बढ़ावा देनेआवश्यकता है। जिससे भविष्य में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के समय भी कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ रखा जा सके। प्रतिकूल मौसम से बचने एवं अनुकूल मौसम से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने हेतु कृषकों को सजग रहना चाहिए। मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं एवं एसएमएससेवा द्वारा कृषि पूर्वानुमान उपलब्ध रहना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों की संस्तुतियों से देश की कृषि उत्पादन एवं सहयोगी प्रणाली को सुदृढ़ करने में सहयोग मिलेगा। कृषिमंत्री सूर्यप्रताप शाही ने भी बेबीनार को ऑनलाइन संबोधित किया। कहा कि मौसम परिवर्तन से कृषि फसलों को हो रही क्षति कृषि को बचाने पर वैज्ञानिकों को विचार करना चाहिए। कृषि उत्पादकता में वृद्धि भी आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों को इस पर विचार करना चाहिए।

इसके लिए तकनीक एवं अधिक उत्पादन देने वाले उन्नतशील बीज तैयार किए जाने की आवश्यकता है। जिससे प्रति हेक्टेयर पैदावार में पर्याप्त वृद्धि हो सके।बेबीनार का आयोजन चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर ने किया था। इसमें कोविड नाइन्टीन वैश्विक महामारी प्रबन्धन हेतु कृषि उत्पादन एवं सहयोगी प्रणाली:अनुभव साझेदारी एवं रणनीतियां विषय पर मंथन किया गया। कोरोना विषाणु से फैली वैश्विक महामारी ने कृषि उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा के महत्व को पुनः रेखांकित किया है। राज्य सरकारों के सामने उत्पादन एवं आपूर्ति चेन को बनाये रखना बड़ी चुनौती है। देश में कृषि उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाना तथा कृषि विकास की सतत् प्रक्रिया को जारी रखना केन्द्र एवं राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है।

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