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अटल जी की कविता से प्रेरणा

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

कोरोना से मुकाबले में अटल बिहारी वाजपेयी की काव्य पंक्तियां प्रेरणादायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कोरोना के विरुद्ध दीप प्रज्ज्वलन का आह्वान किया था, तब अटल जी की पंक्तियां गूंजी थी।

आओ फिर से दिया जलाए…….. 

इस समय सरकार व अनेक संस्थाएँ कम्युनिटी किचेन चला रही है। इसमें लखनऊ विश्वविद्यालय भी शामिल है। इस कम्युनिटी केचेंन के एक माह पूरे होने पर विश्वविद्यालय ने एक डाक्यूमेंट्री जारी की है। इसकी शुरुआत अटल जी की कविता से होती है।

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रुदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
 उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा!
कदम मिलाकर चलना होगा।

यह लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा जारी डाक्यूमेंट्री है। लेकिन इसका भावना में सेवा के सभी कार्य समाहित है।

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