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आज है अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस और विश्व मृदा दिवस, जानिए इनका क्या हैं महत्व

आज अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस है। यह दिन स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सभी स्तरों पर परिवर्तन करने में लोगों की भागीदारी के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 17 दिसंबर 1985 के प्रस्ताव द्वारा पारित किया गया कि 05 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय वालंटियर दिवस के रूप में मनाया जायेगा।

जन-जागरूकता पैदा करना
इस अवसर पर जन-जागरूकता पैदा करने के लिए कान्फ्रेंस, सेमिनार, प्रदर्शनियां, स्वच्छता अभियान, मॉर्निंग आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह अवसर सामुदायिक स्तर पर स्वयंसेवकों की बढ़ती भागीदारी को रेखांकित करता है। ऐसे में दुनिया के सभी देशों को स्वयंसेवकों के योगदान के बारे में याद दिलाया जाता है।

इसके साथ ही दुनियाभर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानो के साथ आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 05 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था। सबसे पहले यह खास दिन संपूर्ण विश्व में 05 दिसंबर 2014 को मनाया गया था। इस दिवस को खाद्य व कृषि संगठन द्वारा मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस 2018 की थीम “मृदा प्रदूषण रोको” थी।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. रणधीर सिंह ने एक बार कहा था कि खेती के तौर-तरीकों और वातावरण में हुए बदलाव का असर मिट्टी और पानी दोनों पर पड़ा है। बता दें, वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा का 33 प्रतिशत भाग पहले से ही बंजर हो चुका है।

विश्व के कई हिस्सों में उपजाऊ मिट्टी बंजर हो रही है। जिसका कारण किसानो द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ेमार दवाईओं का इस्तेमाल करना है। ऐसा करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है और यह प्रदूषण का शिकार हो रही है। किसानो और आम लोगों को मिट्टी की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिन विशेष तौर पर मनाया जाता है।

मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) की शुरूआत की थी। इसमें भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय द्वारा देशभर में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) जारी करने का लक्ष्य रखा गया था।

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