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व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर ठगने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी के एक इंटरस्टेट रैकेट का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के दो सदस्य को गिरफ्तार किया है. यह दोनों अलग-अलग जगह के रहने वाले हैं. बिगबास्केट, डीमार्ट और ब्लिंकिट पर खरीदारी के नाम पर निर्दोष लोगों को उनके व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर ठगी को अंजाम देते थे.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के स्पेशल की आईएफएसओ यूनिट ने धोखाधड़ी के एक अंतरराज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के दो प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 40 सिम कार्ड और एक एटीएम कार्ड बरामद किए हैं. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सोनम निवासी हरि नगर आश्रम और जुनैद अख्तर निवासी सेक्टर 63 नोएडा यूपी के रूप में हुई है.

डीसीपी आईएफएसओ स्पेशल सेल प्रशांत पी. गौतम ने बताया कि एसीपी आईएफएसओ संजीव कुमार के देखरेख में इंस्पेक्टर सतीश कुमार के नेतृत्व में एएसआई जीतराज सिंह, हेड कांस्टेबल राजेश और हेड कांस्टेबल जगजीत की टीम ने जालसाजों के एक अंतरराज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो बिगबास्केट, डीमार्ट और ब्लिंकिट पर खरीदारी के नाम पर निर्दोष लोगों को उनके व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर ठगी को अंजाम देते थे.

डीसीपी ने बताया कि आईएफएसओ स्पेशल सेल को एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि वह फेसबुक पर सर्फिंग कर रहा था. वहां उसने बिग बास्केट पर उपलब्ध एक आकर्षक ऑफर के बारे में एक विज्ञापन देखा. इसलिए उन्होंने “शॉप नाउ” टैब पर क्लिक किया और निर्देशों का पालन किया. इसके बाद उनके क्रेडिट कार्ड से 98 हजार रुपये कट गए. इस संबंध में थाना स्पेशल सेल ने मामला दर्ज किया था. मनी ट्रेल, सीडीआर और डिजिटल फुटप्रिंट रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चला कि यह रैकेट कई राज्यों में फैला हुआ है और कई स्तरों पर संचालित किया जा रहा है. वित्तीय विश्लेषण से पता चला कि कथित खातों में 25-30 लाख रुपये से अधिक के लेनदेन हैं और गिरोह ने 15 से अधिक पीड़ितों को धोखा दिया है.

टीम ने तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से आरोपी व्यक्तियों को हरि नगर आश्रम, गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ के क्षेत्रों में सक्रिय पाया गया. टीम ने कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने अपराध में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है. उन्होंने बताया कि वे संचार और टेली-कॉलिंग के लिए नकली सिम कार्ड और पैसे प्राप्त करने और पैसे के आगे के रोटेशन के लिए नकली खाते खरीदते हैं. ये अब तक कई लोगों से करीब 50 लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं.

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