सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजीव धवन अपने एक फैसले को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। राजीव धवन ने हाल ही में मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर वकालत छोड़ने का ऐलान किया है। जिसके बाद हर कोई इनके इस फैसले को लेकर हैरान है।
ये है मामला:-
राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों में शामिल हैं। वर्तमान में वह अयोध्या विवाद जैसे बड़े मामलों के वकील हैं। ऐसे में हाल ही में दिल्ली सरकार और अयोध्या विवाद केस की सुनवाई कर रहे वकीलों को सुप्रीम कोर्ट ने डांट दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि वरिष्ठ वकीलों के कोर्ट मे ऊंची आवाज मे बहस करने को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उसके एक दिन पहले दिल्ली और केंद्र के बीच मुकदमे की सुनवाई मे राजीव धवन की कुछ दलीलों के तरीके पर कोर्ट सहमत नहीं था। कोर्ट ने यहां भी सख्त रवैया दिखाया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की फटकार से वरिष्ठ वकील राजीव धवन काफी नाराज हो गए। राजीव ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर वकालत छोड़ने का ऐलान किया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच मुकदमे की सुनवाई के दौरान उन्होंने अपमानित महसूस किया। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत छोड़ने का फैसला लिया है।
लेखक भी हैं:-
राजीव धवन वरिष्ठ वकील होने के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय न्याय आयोग के आयुक्त हैं। यह कानूनी और मानवाधिकारों के विषय पर लिखी गई कई पुस्तकों के लेखक भी हैं। इतना ही नहीं वह भारत के कई प्रमुख समाचार पत्रों में एक नियमित स्तंभकार के रूप में भी पहचाने जाते हैं।
इलाहाबाद में की पढ़ाई:-
आज धवन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पहचाने जाने वाले राजीव धवन ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और लंदन यूनिवर्सिटी में भी कानून का अध्ययन किया है।
प्रोफेसर भी हैं :-
राजीव धवन एक इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट में ऑनरेरी प्रोफेसर हैं। इतना ही नहीं उन्होंने क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट, वेस्ट लंदन यूनिवर्सिटी, विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी और ऑस्टिन यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया है। राजीव धवन 1998 में इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स के लिए चुने गए। इसके बाद वह इसकी कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में 2003 और 2007 के बीच और 2009 में एक्टिव रहे। राजीव धवन 2009 में कार्यकारी समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए जा चुके हैं।