केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया कि 23 वर्षीय ट्रांसजेंडर हिना हनीफा को राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में भर्ती किया जाना चाहिए. हनीफा द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनु शिवरामन ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को एनसीसी में एनरोल कराने का अधिकार है. फैसला सुनाते हुए, कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम (1948) की धारा 6 में संशोधन करने का निर्देश दिया, जो ट्रांसजेंडरों को एनसीसी में शामिल होने से रोकती है.
तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में फर्स्ट ईयर डिग्री स्टूडेंट हनीफा ने कहा कि मैं आज सबसे खुश इंसान हूं. अपनी व्यक्तिगत जीत से ज्यादा, मैंने अपने समुदाय के लोगों के लिए आगे बढऩे के लिए दरवाजा खोला है. यह अभी शुरुआत है. मुझे उम्मीद है कि आखिरकार हम सशस्त्र बलों में भी शामिल हो सकेंगे. हनीफा ने पिछले साल एनसीसी में शामिल होने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
अपनी याचिका में उसने तर्क दिया था कि वह 13 साल की उम्र में एनसीसी में शामिल हुई थी. उस दौरान वह स्कूल में पढ़ती थी. उस समय वह एक लड़के कैडेट के रूप में एनरोल हुई थी. दो साल पहले, उसने लिंग परिवर्तन करवा लिया और डिग्री कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज में दाखिला लिया. लेकिन जब उसने एनसीसी में दाखिला लेने की कोशिश की तो उसे यह कहते हुए प्रवेश से रोक दिया गया कि यह मौजूदा अधिनियम के खिलाफ है.
कोर्ट ने कहा कि वह एनसीसी की सीनियर गर्ल्स डिविजन में नामांकन की हकदार थी और उसके अनुरोध को अस्वीकार किया जाना ठीक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि 2014 का एनएएलएसए फैसले और 2020 का ट्रांसजेंडर अधिनियम रक्षा मंत्रालय के इस तर्क को खारिज कर देता है कि ट्रांसजेंडरों को भर्ती करने के लिए कोई प्रावधान नहीं थे.
कोर्ट के फैसले के बाद हनीफा ने कहा, हमें जो चाहिए वह है स्वीकृति, सहानुभूति नहीं. हालांकि, केरल एक विशेष ट्रांसजेंडर नीति और ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड के साथ सामने आने वाला पहला राज्य है, लेकिन समाज के रवैये को बदलना होगा. उसने अपनी लड़ाई को व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए बताया है. हनीफा ने कहा कि रोजगार और आवास समुदाय के लिए दो प्रमुख चुनौतियां हैं और विश्वास है कि ये चीजें भी बदल जाएंगी.