लखनऊ। खुन खुन जी गर्ल्स महाविद्यालय में सम्राट अशोक की जयंती (Emperor Ashoka’s Birth Anniversary) मनाई गई। कल्चरल क्लब ‘कलायनम’ एवं प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग (Cultural Club ‘Kalayanam’ and Ancient Indian History Department) द्वारा आयोजित जयंती कार्यक्रम में सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार, प्रशासन, धर्म परिवर्तन एवं विरासत पर छात्राओं के मध्य व्याख्यान दिये गए। कलिंग युद्ध (Kalinga War) के बारे में बताते हुए प्राचार्या डॉ अंशु केडिया (Principal Dr Anshu Kedia) ने बताया कि किस प्रकार इस युद्ध में हुए भीषण रक्तपात ने उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया और ‘देवनाम प्रिय’, ‘प्रियदर्शी’ जैसी उपाधि मिली।
डॉ अंशु केडिया ने कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देते हुए सिंहल द्वीप, दक्षिण पूर्वी एशियाई राज्यों तक धर्म दूत भेजे। उन्होंने अशोक द्वारा छोड़ी विरासत जो आज भी भारत सरकार के प्रतीकों मे प्रतिबिंबित होती है का उल्लेख किया I सारनाथ स्तंभ पर निर्मित अशोक की लाट को राजकीय चिह्न के रूप में अपनाया गया जो भारत की संप्रभुता का प्रतीक है एवं अशोक चक्र को राष्ट्र के तिरंगे में स्थान दिया गया। मुंडक उपनिषद से लिया गया सूत्र वाक्य ‘सत्यमेव मेव जयते’ भी अशोक स्तंभ पर उल्लिखित है, जिसका अर्थ है सत्य की सदैव जीत होती है I
प्रो पूनम रानी भटनागर ने बताया कि सम्राट अशोक ने 273 B.C से 232 B.C तक शासन किया। उनका साम्राज्य उत्तर में हिंदुकुश पर्वत से लेकर दक्षिण में मैसूर कर्नाटक तक, पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल तक विस्तृत था। डॉ विजेता दीक्षित ने अशोक के प्रशासन का विवरण उनके शिलालेखों, स्तंभलेखों एवं अन्य अभिलेखों में लिखे लेखों के आधार पर दिया। उन्होंने बताया कि अशोक का प्रशासन लोक कल्याण पर आधारित था जिसके लिए उन्होंने विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति की थी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ सत्यम तिवारी ने किया I कार्यक्रम में डॉ शगुन रोहतगी, डॉ रेशमा परवीन, डॉ ज्योत्सना पांडे, डॉ सुप्रिया, डॉ सुनीता यादव, डॉ स्नेह लता शिवहरे, डॉ रुचि यादव एवं छात्राएं उपस्थित थीं।