देश में 25 मार्च से चल रहे लॉकडाउन के कारण देश में आने वाले दिनों में नमक की कमी पड़ सकती है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट का अनुसार देश के तटीय इलाकों में नमक उत्पादों का कहना है कि प्रोडक्शन में लगातार कमी आ रही है.
रिपोर्ट का कहना है कि अधिकतर मजदूर लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौट रहे हैं, जिस कारण उत्पादन में बड़ी कमी आने की संभावना है. पिछले दिनों मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी. उत्पादकों का कहना है कि प्रोडक्शन लगभग बंद हो गया है और इसका असर जल्द सप्लाई पर भी पड़ सकता है.
नमक उत्पादन का मौसम अक्टूबर और मध्य जून तक रहता है. मार्च और अप्रैल में अधिकतम उत्पादन होता है. गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उत्पादन का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कम मात्रा में उत्पादन होता है. हर साल देश में लगभग 200 से 250 लाख टन नमक का उत्पादन होता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (ISMA) के प्रेसिडेंट भरत रावल का कहना है “हमारा आधा मार्च और पूरा अप्रैल निकल गया है. जबकि 40 दिन हमारे प्रोडक्शन का पीक सीजन होता है.” भारतीय हर साल 95 लाख टन खाद्य नमक का उपभोग करते हैं. उद्योग की मांग 110 से 130 लाख टन के बीच है जबकि 58 से 60 लाख टन उन देशों को निर्यात किए जाते हैं जो पूरी तरह से नमक के लिए भारत पर निर्भर हैं.
औद्योगिक नमक का उपयोग बिजली संयंत्रों, तेल रिफाइनरियों, सौर ऊर्जा कंपनियों, रासायनिक निर्माताओं, कपड़ा निर्माताओं, धातु ढलाई, फार्मास्यूटिकल्स, रबर और चमड़े के निर्माताओं द्वारा किया जाता है.