भारत की मिट्टी में ऐसी अनमोल शक्ति है कि यहां जन्म लेने वाले हर मानवीय जीव के विशाल हृदय में करुणा दया ममता का अनमोल, अनोखा खजाना भर जाता है। करुणा दया ममता न केवल माननीय जीवों के प्रति हि नहीं बल्कि, सारी सृष्टि के 84 लाख जीवों, जिसमें पशु पक्षी, जानवर यहां तक कि चींटी जैसे छोटे जीवों के लिए भी अपार करुणा दया ममता समाई हुई है।
मां भारती की गोद में दुलारे मानव जीव हजारों वर्षों से मूक जीवों, पशु पक्षियों के प्रति दया भावना रखते हैं। अगर हम कुछ अपवादों को छोड़ दें तो इन मूक जीवो की सेवा, सुरक्षा, रक्षा करना आध्यात्मिक धर्म माना जाता है और हम इनकी पूजा भी करते हैं। अनेक जीवो को हम देवी देवताओं का वाहन भी मानते हैं जिसमें गाय, गरुड़, शेर, मछली इत्यादि पशु शामिल हैं। कई जीवो को हम घर में पालते भी हैं जिसमें डॉग खरगोश, बंदर, मिट्ठू , कबूतर इत्यादि जीव, पशु पक्षी शामिल हैं और उनको हम अपने घरों का सदस्य बनाए रखते हैं।
भारतीय कानूनों, नियमों और वाइल्ड लाइफ एक्ट में जानवरों के पर कुछ अपवादी मानवों की क्रूरता ढाने के कारण, अनेक प्रतिबंध और कठोर नियम बनाए गए हैं। जिसमें, अब पक्षियों को घर में पालना या बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के अन्य जीवों को पालना बंधनकारक है। जिससे, जीवों पर अत्याचार और क्रूरता रोकी जा सकती है।
वहीं, हिंसक जीव जंतु जानवरों के बारे में बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अगर आप किसी भी जीव जंतु और जानवर को जब तक दुर्भावना से छेड़ोगे नहीं, तब तक वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अगर उनको आप छेड़ने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे तो फिर मज़बूरी में वह भी हिंसक हो जाता है। नतीजा, मानवीय वध तक का अंजाम हो जाता है। इसी लिए ही शासन प्रशासन ने अनेक क्षेत्रों को प्रतिबंधित कर, वहां बिना इजाजत मानवीय प्रवेश पर रोक भी लगाई है।
मानव का मूक जानवरों जीव जंतुओं से करुणा, प्रेम, वात्सल्य की बात करें, तो हम पीपल के झाड़ के पास चींटियों को शक्कर, गुड़ डालते हैं। साथ ही गाय की त्योहारों में पूजा कर भोजन, जलपान करवा कर व्रत तोड़ते हैं। हर धर्म में अपने अपने स्तर पर अनेक जीवों पशु पक्षियों की पूजा की जाती है, श्राद्ध के दिनों में कौओं को भोजन खिलाया जाता है। अगर हमारे ह्रदय दुलारे किसी जीव मसलन डॉग, खरगोश, बंदर, मिट्ठू या फिर शेर तक की किसी घटना, दुर्घटना या उम्र दराज मृत्यु हो जाती है तो हमें उसी तरह करुणा दुखी होकर रोते हैं जैसे हमने अपना मानवीय जीव प्रिय खो दिया है। यह है भारतीय मानव की करुणा दया ममता सांत्वना।
दिनांक 30 जनवरी 2022 को मन की बात में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर उनके विचारों दिए थे। उन्होंने भी कहा, प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा, ये हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी है। हमारे इन्ही संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी, जब मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया। इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे। वन विभाग ने इसे टी-15 नाम दिया था। इस बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना भावुक कर दिया जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो। लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया। उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी। आपने भी ये तस्वीरें सोशल मीडिया में ज़रूर देखी होंगी। पूरी दुनिया में प्रकृति और जीवों के लिए हम भारतीयों के इस प्यार की खूब सराहना हुई। कॉलर वाली बाघिन ने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा भी बनाया। हमने टी-15 के इस जीवन को भी सेलिब्रेट किया और जब उसने दुनिया छोड़ी तो उसे भावुक विदाई भी दी। यही तो भारत के लोगों की खूबी है। हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं।
ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला। इस परेड में प्रेसिडेंटस बॉडीगार्ड्स के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया। घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर कमांडेंट चार्जर के तौर पर परेड को लीड करता था। जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी, वो अपनी ये भूमिका निभाता था। इस वर्ष, आर्मी डे पर घोड़े विराट को सेना प्रमुख ने सीओएएस कमेंडेशन कार्ड भी दिया गया। विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए, उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीक़े से उसे विदाई दी गई।
इसलिए, अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि करुणा, दया, ममता वात्सल्य हर भारतीय मानव के हृदय में समाया है तथा प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा भारतीय संस्कृति का स्वभाव है। मां भारती की मिट्टी में ही अद्भुत शक्ति है यहां जन्म से ही ये भाव मानव में समा जाते है करुणा दया, ममता और वात्सल्य के भाव।