केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने करदाताओं को बड़ी राहत दी है। अब जानबूझकर टैक्स चोरी के प्रयास, इनकम टैक्स रिटर्न न भरना और 25 लाख रुपए तक टीडीएस जमा नहीं कराना आपराधिक मामला नहीं होगा। सीबीडीटी के एक नए सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में आयकर विभाग सामान्य तौर पर अदालत में अभियोजन का मामला नहीं चलाएगा। इस निर्देश को टैक्स से जुड़ी मुकदमेबाजी कम करने की दिशा में उठाए गए बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में करदाता कानूनी मुकदमेबाजी से बच जाएंगे।
सीबीडीटी की तरफ से 9 सितंबर को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अभियोजन आपराधिक प्रक्रिया है, जो जुटाए गए सबूतों पर आधारित होता है। टैक्स चोरी के अपराध को केवल संदेह से नहीं, बल्कि ठोस साक्ष्य से साबित करना होता है।
सामान्य परिस्थितियों में अभियोजन नहीं-
सीबीडीटी ने मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए नए मानदंड बनाए हैं। ऐसे मामले, जिसमें 25 लाख रुपए तक स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की रकम जमा नहीं कराई गई और इसे जमा कराने में 60 दिन से कम देरी हुई है, तो सामान्य परिस्थितियों में ऐसे मामलों में अभियोजन नहीं चलाया जाएगा।
इन मामलों में चलेगा अभियोजन-
सर्कुलर में कहा गया है कि बार-बार चूक करने के अपवाद वाले मामलों में दो मुख्य आयुक्तों के कॉलेजियम या आयकर विभाग के महानिदेशक की मंजूरी से अभियोजन चलाया जा सकता है।
ऐसे मामलों में आयकर कानून की धारा 276 बी के तहत कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ऐसे मामले, जिनमें जानबूझकर टैक्स चोरी की राशि या कम आय दिखाने पर टैक्स 25 लाख रुपए या उससे कम बनता है तो उनमें भी अभियोजन की कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसमें आयकर कानून की धारा 276सी एक के तहत कार्रवाई होगी।