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विरोधाभासों से भरा पड़ा है लखनऊ, सर्वे “लखनऊ एक सच” में निकल कर आयी कई चौंकाने वाली बातें

अदब और तहजीब के शहर लखनऊ के कई रूप है, जहां एक तरफ है लखनऊ का वह हिस्सा जहां अभी भी अदब और तहजीब पूरी तरह से दिखती है वही एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे लखनऊ की संस्कृति से कोई लेना देना नहीं है।

यह बातें लेखक और निर्देशक विपिन अग्निहोत्री द्वारा किए गए सर्वे “लखनऊ एक सच” में निकल कर सामने आई हैं। करीब 1500 लोगो पर किए गए सर्वे में 746 पुरुष और 754 महिलाओं ने भाग लिया।

विपिन अग्निहोत्री के मुताबिक इस सर्वे को करने के लिए उन्होंने लखनऊ को तीन भागों में विभाजित किया। पहले भाग में उन्होंने पुराने लखनऊ को सम्मिलित किया, दूसरे भाग में गोमती नगर को तथा तीसरे भाग में आलमबाग और कृष्णा नगर के हिस्से को शामिल किया।

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सर्वे के नतीजे बहुत ही चौकाने वाले रहे। जहां पुराने लखनऊ तथा आलमबाग में रहने वाले 82 प्रतिशत लोग आज भी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि लखनऊ की विरासत को संभाला जाए वहीं दूसरी तरफ गोमती नगर में रहने वाले 60 प्रतिशत लोगों को इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता।

एक और बात जो इस सर्वे में उभर कर सामने आई वह यह थी कि आज भी पुराने लखनऊ और आलमबाग क्षेत्र के 90 प्रतिशत लोग अपने पड़ोसी के साथ नियमित संवाद करना पसंद करते हैं वहीं दूसरी तरफ गोमती नगर क्षेत्र की बात करें तो सिर्फ 31 प्रतिशत लोग ही ऐसा करना पसंद करते हैं।

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विपिन अग्निहोत्री बताते हैं कि लखनऊ जैसे छोटे शहर में भी इस तरह का विरोधाभास होना यह बताता है कि लोगों की सोच मे कितना अंतर हो सकता है और हमें इस बात को मानना ही होगा कि लखनऊ अब पहले जैसा नहीं रहा और यहां भी बड़े शहरों की भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल हावी हो रही है।

         डॉ विपिन अग्निहोत्री

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