लखनऊ। उच्च शिक्षा और अनुसंधान (Higher Education and Research) में एआई क्रांति ज्ञान निर्माण (AI Revolution) और प्रसार के परिदृश्य को बदल रही है, फिर भी इस परिवर्तन को जिम्मेदार एआई प्रथाओं द्वारा उन्मुख किया जाना चाहिए, जिससे एआई-संचालित निर्णय लेने में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता सुनिश्चित हो सके। एक ओर AI हमारे अकादमिक अनुसंधानों एवं अध्ययनों को ऊर्जा, सरलता और शक्ति प्रदान कर रही है,वहीं कुछ चिंताएं भी (Some Concerns Too) सामने आ रही हैं।
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उक्त बातें मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय (VC Pro Alok Kumar Rai) ने आगामी 16 से 18 जून तक दक्षिण गोवा के वरका कैरावेला में आयोजित हो रहे ‘एल्सेवियर उच्च शिक्षा और अनुसंधान उत्कृष्टता फोरम’ को संबोधित करते हुए कहीं। कुलपति ने कहा कि एआई के प्रयोग में मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देना, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना और उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए संभावित पूर्वाग्रहों पर समुचित विमर्श करना अत्यंत आवश्यक है।
परिचर्चा सत्र में कुलपति ने परीक्षा पैटर्न और प्रवेश प्रक्रिया में सुगमता और सटीकता की दिशा में एआई के संभावित उपयोग और प्रयोगों पर चर्चा की। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रणाली को संदर्भित करते हुए, जो परिसर और संबद्ध कॉलेजों में लगभग पाँच लाख छात्रों की ज़रूरतों को पूरा करती है, उन्होंने प्रवेश और परीक्षा प्रणाली को डिजिटल बनाने पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए और परीक्षा सुधारों के की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर राय ने कहा कि एआई के व्यवस्थित उपयोग से वित्तीय और संसाधन की कमी से जूझ रहे संस्थानों को अधिक और बेहतर लाभ मिल सकता है। आज कल हर ओर कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसके प्रयोगों अनुप्रयोगों पर व्यापक चर्चा हो रही है ,जिनसे शंकाओं एवं अवसरों का निर्माण हो रहा है , शीघ्र ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता दैनंदिन जीवन का एक आम पक्ष बन जाएगा।
दो दिवसीय सम्मेलन में देश भर से प्रतिष्ठित संस्थानों के कुलपति, प्रोफेसर्स, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं अन्य विद्वान भाग ले रहे हैं, जिसका उद्देश्य डिजिटल समाधानों द्वारा लगातार बदलते उच्च शैक्षणिक परिदृश्य के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करना है।